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शिक्षक प्रमोशन निरस्तीकरण अपडेट: हाईकोर्ट में कल 900 से ज्यादा केसों की होगी सुनवाई, अधर में लटके व वेतन बगैर तंगहाली में फंसे हजारों शिक्षकों की टिकी है निगाहें

रायपुर 2 नवंबर 2023। संशोधन निरस्तीकरण प्रभावित शिक्षकों की याचिका पर कल सुनवाई होगी। हाईकोर्ट में शुक्रवार को 900 से ज्यादा पीटिशन पर सुनवाई होगी। इससे पहले इस मामले में 13 सितंबर और 11 सितंबर को सुनवाई हो चुकी है। जिसमें हाईकोर्ट ने स्टेटस को यथास्थिति बनाये ऱखने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में डीपीआई, जेडी और डीईओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। हालांकि नोटिस के जवाब के संदर्भ में अभी कोई जानकारी नहीं है। हालांकि सुनवाई के लिए केस की लिस्टिंग नीचे हैं, लिहाजा सुनवाई हो पायेगी, इसे लेकर सस्पेंस जरूर दिख रहा है।

संशोधन निरस्तीकरण प्रभावित हजारों शिक्षकों की स्थिति अधर में लटकी हुई है, ना तो वो पुराने स्कूल में लौट पाये और ना ही संशोधित स्कूलों में ही रह पाये। क्योंकि अधिकारियों के निर्देश पर शिक्षकों को एकतरफा रिलीव कर दिया गया था। प्रभावित हजारों शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। कल की सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की तरफ से वेतन जारी करने की भी दलीलें प्रस्तुत की जायेगी।

सीनियर वकीलों की मानें तो आज की बहस के दौरान यथास्थिति वाले निर्देश के बजाय 4 सितंबर 2023 के विभाग के निर्देश पर रोक की मांग की जायेगी। अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने जो निर्देश दिया था, उससे शिक्षकों की मुश्किलें ज्यादा बढ़ गयी थी, क्योंकि उन सभी शिक्षकों का वेतन करीब ढ़ाई महीने से अटक गया है। ऐसे में 4 सितंबर के फैसले पर ही रोक लगाने की दलील रखी जायेगी। पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता शिक्षकों की तरफ से एडवोकेट मनोज परांजपे, मतीन सिद्दीकी, विपिन तिवारी, प्रतीक शर्मा, अजय श्रीवास्तव ने बहस की थी। वहीं राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता शिक्षकों के वकीलों ने बताया कि राज्य सरकार को ट्रांसफर करने का अधिकार है पर यह ट्रांसफर नहीं है, यह प्रमोशन के बाद नई पोस्टिंग है।

साथ ही राज्य शासन का कहना है की पोस्टिंग में संशोधन संयुक्त संचालक नहीं कर सकते इसलिए इसे नियम विपरीत बता कर संशोधन आदेश निरस्त किया गया है। जबकि विधानसभा में विधायक रजनीश सिंह के उठाए गए सवाल के जवाब में स्वयं स्कूल शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे ने लिखित दिया था जिसमें कहा था कि नियुक्तिकर्ता अधिकारी यानी कि संयुक्त संचालक ट्रांसफर व पोस्टिंग कर सकते हैं।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से यह भी तर्क दिया गया कि जिन स्कूलों में पूर्व में पदस्थापना की गई थी उनमें पहले से ही अतिशेष शिक्षक हैं। जबकि जिन स्कूलों में पोस्टिंग में संशोधन कर पदस्थापना दी गई है वहां शिक्षकों की कमी है। यदि यह पोस्टिंग आदेश निरस्त किया जाता है तो स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या बनी रहेगी। सभी तथ्यों को सुनने के बाद जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए कहा था कि जो भी पिटीशनर अभी रिलीव नहीं हुए हैं उन्हें सरकार रिलीव न करें। लेकिन, जो रिलीव होकर अपनी पुरानी जगह ( संशोधन से पहले वाली) में जा चुके है वो वही रहेंगे। लेकिन इसी बीच आदेश जारी कर विभाग ने पहले ही सभी शिक्षकों को एकतरफा रिलीव कर दिया।

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