शिक्षक/कर्मचारी

शिक्षक प्रमोशन घोटाला : पैसे-पैरवी के जोर ने DPI के निर्देशों को रख दिया तक पर…. कोंडागांव ही नहीं बस्तर के सभी जिलों में हुई है बड़ी धांधली..देखिये क्या-क्या हुई गड़बड़ियां

रायपुर 4 अक्टूबर 2022। एक तरफ शिक्षकों का प्रमोशन हो रहा है, तो दूसरी तरफ पदोन्नत शिक्षकों का पदांकन रद्द भी हो रहा है। कोंडागांव से पदांकन रद्द होने का आदेश जारी हो चुका है, जबकि कई अन्य जिलों से भी प्रमोशन के बाद हुए पदांकन को रद्द करने का आदेश जारी हो सकता है। दरअसल प्रमोशन के बाद पोस्टिंग में बड़ा खेल हुआ है। पैसे व पैरवी ने नियम-निर्देशों को ठेंगे पर रख दिया है। आलम ये है कि जिलों से प्रधान पाठक के प्रमोशन के बाद हुई पोस्टिंग में DPI तक के स्पष्ट निर्देशों को भी ताक पर रख दिया गया। ना पोस्टिंग के पूर्व काउंसिलिंग की गयी और ना ही स्कूलों में पोस्टिंग के पूर्व पोस्ट देखे गये।

हद तो ये है कि एक-एक स्कूलों में दो-दो, तीन-तीन पोस्टिंग हो गयी। ऐसे में नव नियुक्त प्रधान पाठकों में आपस में ही सर फुटव्वल की स्थिति बन गयी। डीपीआई ने प्रमोशन को लेकर निर्देश में साफ कहा था कि महिला और दिव्यांग को पोस्टिंग में सहुलियत दी जाये, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। प्रमोशन के बाद प्राथमिकता के आधार पर उसी स्कूल में पोस्टिंग का भी निर्देश था, लेकिन उस निर्देश का भी कहीं पालन नहीं किया गया।

कोंडगांव में तो टी संवर्ग वालों का ई संवर्ग में प्रमोशन भी कर दिया गया और ई संवर्ग के स्कूलों में पोस्टिंग भी दे दी गयी। कोंडगांव में वैसे भी ई संवर्ग की सीटें कम थी, लेकिन कई टी संवर्ग के शिक्षकों को ई संवर्ग में पोस्टिंग दे दी गयी।

अब खबरें ये है कि कोंडागांव की ही तरह बीजापुर, दंतेवाड़ा और बस्तर में भी कई तरह की गड़बड़ियां हुई है। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन की तरफ से दंतेवाड़ा में भी शिकायत को लेकर डीईओ को पत्र भेजा गया है, जिसमें बिंदुवार हुई गड़बड़ियों की जानकारी दी गयी। दंतेवाड़ा में भी दो-दो-तीन-तीन प्रधान पाठक की पोस्टिंग का आदेश जारी किया गया है। दंतेवाड़ा में भी महिला और दिव्यांग को अंदरूनी और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पोस्टिंग दी गयी है। दंतेवाड़ा में दो शिक्षिका को एकल शिक्षिकीय होने के बावजूद 6 से 7 किलोमीटर दूर पोस्टिंग दी गयी। कई प्रधान पाठक की पोस्टिंग में तो बड़ा खेल किया गया है, पहले एक स्कूल से प्रधान पाठक को हटाकर दूसरे जगह पर पोस्टिंग दी गयी और फिर दूसरे स्कूल से लाकर उस स्कूल प्रधान पाठक बना दिया गया।

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