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शिक्षक की जुबानी, बेटे के डाक्टर बनने की कहानी : डाक्टर बनने की गारंटी है विशालाक्षी करियर इंस्टिट्यूट, 40 में से 32 छात्रों का MBBS में हुआ चयन

रायपुर 29 मार्च 2023। कहते हैं जब कोई बीमार हो या किसी पीड़ा से ग्रस्त हो तो पहले भगवान का नाम मुंह से निकलता है, फिर डॉक्टर में ही उसे भगवान दिखता है। अगर आपकी मुश्किल के समय एक अच्छा डॉक्टर मिल जाए और प्यार और मानवता की भावना से आपकी देखभाल करे तो उससे ज्यादा कुछ भी अच्छा नहीं। इस जमीं पर डाक्टर का ही इकलौता पेशा ऐसा है, जिसमें सेवा भी है, समर्पण भी है और अच्छी खासी सैलरी भी। आज भी जब हम किसी डाक्टर को देखते हैं, तो मन में आदर का भाव का जाग जाता है। आज हर युवका पसंदीदा करियर मेडिकल है। आज के युवा डाक्टर तो बनना चाहते हैं, लेकिन इसकी कैसी होगी, इसकी जानकारी उन्हें नहीं मिल पाती, लिहाजा प्रतिभा और मेहनत के बावजूद मुकाम से वो दूर रह जाते हैं..। मेडिकल में जाने को इच्छुक युवाओं से हम कुछ आज ऐसी बातें और ऐसे अनुभव साझा करना चाहते हैं, कि आपकी राह भी आसान हो जायेगी और आपकी राह को भी मंजिल मिल जायेगी।

कैसे मिलता है मेडिकल में दाखिला

MBBS यानि मेडिकल में एडमिशन का पहला पड़ाव होता है NEET। आल इण्डिया स्तर पर NEET UG प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद आपका दाखिला काउंसिलिंग के जरिये अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में होता है। देश में MBBS की 91927 सीटें हैं। जिसमे से 48012 सरकारी व 43915 प्राइवेट कालेज की सीट है। पिछले वर्ष 18 लाख छात्र इस प्रवेश परीक्षा में बैठे थे। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रतिस्पर्धा काफी ज्यादा है। गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चो को प्राइवेट कालेज में भारी भरकम फीस के कारण प्रवेश ले पाना संभव नहीं है। उनके लिए सरकारी कालेज ही विकल्प है।

शिक्षक पुत्र ने NEET क्वालीफाई कर पाया MBBS में दाखिला

मेहनत में अगर ईमानदारी है और लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट, तो फिर लक्ष्य मिलना तय है। ऐसा ही एक लक्ष्यवीर है विवेक शुक्ला। शिक्षक गिरजाशंकर शुक्ला पुत्र विवेक ने MBBS में दाखिला पाकर रायगढ़ की जमीं को धन्य किया है। विवेक का दाखिला दुर्ग के चंदूलाल चंद्राकर शासकीय मेडिकल कॉलेज में में हुआ है। हमने पिता के तौर पर शिक्षक गिरजा शंकर शुक्ला से उनके बेटे की सफलता, संघर्ष और जीत पर बात की, गौरवान्वित एक पिता के अनुभव और सीख को हम हुबहू, आपके लिये बयां कर रहे हैं…

संघर्ष+समर्पण+साधना = सफलता

मैं गिरजा शंकर शुक्ला (शिक्षक) ग्राम हालाहुली (खरसिया) जिला रायगढ़ का हूं। मेरा पुत्र विवेक शुक्ला 2022 में MBBS में प्रवेश हुआ है। बेटे को NEET की कोचिंग के लिए देश प्रसिद्ध Allen कोचिंग संस्थान कोटा राजस्थान में भेजा। जहां 2 साल तक कोचिंग की। वहां 6 घंटे की कोचिंग होती है। उसके बाद बच्चे के ऊपर रहता है बाकी समय में किस प्रकार की पढ़ाई करता है। यदि बच्चा विशेष रुचि लेकर, लगातार पढता है, तभी सफल होता है। बच्चे का यह उम्र ऐसा है जो कई दिशा में विचलित भी होता है। 2 साल तक सफलता नहीं मिला। इस बीच मेरा संपर्क हमारे छत्तीसगढ़ के रहने वाले दिलीप सिंह ठाकुर जो IIT BHU वाराणसी से M.tech हैं, से हुआ। जो Allen कोचिंग कोटा में फिजिक्स फैकेल्टी के टीचर रह चुके हैं। उनके द्वारा CORONA काल के बाद अच्छे प्लेटफार्म के टीचर का ग्रुप बनाकर 2022 से “विशालाक्षी कैरियर इंस्टिट्यूट” सुपर – 40 के नाम से कोटा में ही NEET UG का कोचिंग प्रारंभ किया। जिसमें पूरे भारत के 40 बच्चे को उन्होंने प्रवेश लिया। जिसमें एक मेरा बेटा विवेक शुक्ला भी शामिल था। जिसमें से 32 बच्चों का MBBS में पूरे भारत में चयन हुआ है। जिसमें छत्तीसगढ़ में तीन बच्चे शामिल हैं जिसमें एक मेरा बेटा भी है।

विशालाक्षी करियर इंस्टिट्यूट बन रहा है मददगार

इस कोचिंग संस्था की दो मुख्य विशेषता यह है कि वह बच्चे के पूरे 24 घंटा का प्लान करते हैं कि बच्चा कितने समय उठेगा, नाश्ता करेगा, क्लास, स्टडी, दिनचर्या के कार्य करेगा। 24 घंटे में बच्चे को ज्यादातर समय क्लास में ही रहकर पढ़ाई करना पडता है। जिसमे क्लास, ग्रुप स्टडी, डाउट क्लियर, सप्ताहिक व मासिक टेस्ट आदि कराया जाता है। रोज बच्चे के स्तर का कोर्स निर्धारित कर पढ़ाया जाता है। फिर रोज उसका रिव्यू लिया जाता है। दूसरा मुख्य बात यह है कि इस बड़ी पढ़ाई में बच्चे के अंदर तनाव आना स्वाभाविक है तब ज्यादातर बच्चे हताश और निराश हों जाते है। जिससे कई बच्चे गलत कदम तक उठा लेते है। इस तनाव को दूर करने के लिए प्रतिदिन आधे घंटे सुदर्शन क्रिया कराया जाता है जो कि बच्चों को तनाव से मुक्त रखता है। तब बच्चा खुशनुमा रूप से पढ़ाई करता हैं।दिलीप सिंह ठाकुर (शिक्षक) मूल रूप से छत्तीसगढ़ के हैं इस भावना से उन्होंने 2023 से “विशालाक्षी कैरियर इंस्टिट्यूट” को भिलाई के स्मृति नगर में स्थापित किया है, जिसमे अभी सुपर 40 बच्चे अध्ययनरत है। आगे 2024 हेतु प्रवेश प्रारंभ कर दिया गया हैं। जिसमे सुपर 40 दो बैच निर्धारित किए है। जिसका एक बैच सिर्फ छत्तीसगढ़ के बच्चो का दूसरा बैच बाकी ऑल ओवर इंडिया के बच्चो का हैं। जहां क्लास के साथ हॉस्टल एवं मेस की भी सुविधा उपलब्ध है। मेरा स्पष्ट मानना है कि यह NEET UG MBBS का एक बहुत अच्छा प्लेटफार्म है। जो अब हमारे छत्तीसगढ़ के एजुकेशन हब भिलाई में प्रारंभ हो चुका है। सफल बच्चे के पालक होने के नाते मैं आपसे यही कहूंगा कि आपको अपने बच्चे को प्रवेश कराना है या नहीं यह आपका निर्णय होगा, लेकिन एक बार “विशालाक्षी कैरियर इंस्टिट्यूट” स्मृति नगर भिलाई दिलीप ठाकुर से जरूर संपर्क कर जानकारी लेवे।  

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