बिग ब्रेकिंग

खबर पक्की है: आभार के लिए जद्दोजहद

nw न्यूज 24 का ये सप्ताहिक कॉलम है। इस कॉलम का उद्देश्य शिक्षक/कर्मचारी जगत की अंदर की खबरों को अलग अंदाज से प्रस्तुत करना है। आपके पास भी कुछ अंदर की दिलचस्प खबरें हो तो हमें जरूर बतायें

सूबे के मुखिया ने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन की एक बड़ी सौगात दी है और इसके लिए कर्मचारी उन्हें आभार व्यक्त करते हुए एक बड़ा कार्यक्रम भी करना चाहते हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है की सारे कर्मचारी संगठन क्या एक मंच पर आएंगे । दरअसल घोषणा वाले दिन ही 2 शिक्षक नेताओं ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर कार्यक्रम के लिए समय मांग लिया था और मुख्यमंत्री ने सहर्ष सहमति भी दे दी थी । इसके बाद अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के नेताओं को भी सहमति मिल गई और उसके बाद अन्य शिक्षक नेताओं को भी कार्यक्रम के लिए हामी भर दी गई , सीधी सी बात है की सरकार भी चाहती है कि सभी कर्मचारी संगठन एक मंच पर आकर स्वागत सम्मान करें ताकि संकेत यह जाए कि सब में खुशी की लहर है लेकिन अंदरखाने संगठन के नाम पर चल रही अदावत किसी से छिपी नहीं है ऐसे में यह तमाम संगठन क्या एक मंच पर नजर आएंगे इस पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है ।

तो क्या इसलिए लिपिक नहीं लड़ रहे आर पार की लड़ाई!

सरकार बनते ही मुखिया के द्वारा यदि सबसे पहले किसी की समस्या हल करने के लिए हरी झंडी दिखाई गई थी तो तो वह लिपिक थे लेकिन आज पर्यंत उनकी वेतन विसंगति पर निर्णय नहीं हो सका है लेकिन इससे भी ताज्जुब की बात यह है कि बावजूद इसके लिपिक सड़क पर उतरने को तैयार नहीं है इस मुद्दे पर जब हमने उनके एक नेता से बात की तो उन्होंने बताया दरअसल हमारे लोग कार्यालय छोड़कर सड़क पर आना ही नहीं चाहते , एक दफा तो हम भी चौक गए की इतने कर्तव्यनिष्ठ लिपिक है क्या , फिर बाद में पता चला कि दरअसल लिपिक सड़क पर आकर प्रदर्शन करने से इसलिए भी घबराते हैं क्योंकि कार्यालय में बैठने से जो थोड़ी बहुत विसंगति हर दिन दूर होती है वह भी सड़क पर आने से नहीं होगी ऐसे में बिना साग भाजी के घर पहुंच कर वह घर का माहौल खराब नहीं करना चाहते यही वजह है कि उनके नेता तो चाहते हैं कि जंगी प्रदर्शन हो पर उनके अनुयायी नहीं ।

पुरानों की टेंशन, नए की बल्ले बल्ले

इन दिनों सोशल मीडिया में शिक्षकों के ग्रुप में नए और पुरानो की जबरदस्त भिड़ंत चल रही है , दरअसल बरसों से सेवाएं दे रहे शिक्षक चाहते हैं कि पूर्व सेवा अवधि की गणना हो जाए और अब अगली लड़ाई उसके लिए हो ऐसे में वह अलग-अलग तर्क से माहौल बनाने में भी लगे हैं इधर नए शिक्षक उन दिनों को भुला नहीं पा रहे हैं जब लाभ पाने के बाद इन्हीं पुराने शिक्षकों ने उन्हें जमकर ताने मारे थे और कहा था की असली संघर्ष तो हमने किया है अब आप लोग भाग्यशाली हो कि थोड़े से संघर्ष में लाभ पा रहे हो । समय ने ऐसी पलटी मारी कि नए शिक्षकों ने कम समय में संविलियन भी हासिल कर लिया और पुरानी पेंशन भी, अब नए शिक्षक कह रहे हैं की हमारे पास बहुत समय बचा है हम संघर्ष करके जो हासिल करना है कर ही लेंगे आप हमारी चिंता मत कीजिए क्योंकि आप लोग कितने बड़े शुभचिंतक हैं हम देख चुके हैं । पुराने शिक्षकों को भी समझाते नहीं बन रहा है कि समय तो दरअसल उनके पास नहीं है । दरअसल अपनों से खार खाए बैठे नए शिक्षकों अब हर मुद्दे पर यह डर सताने लगा है कि कहीं समय आने पर फिर एक बार उनके साथ धोखा तो नहीं हो जाएगा यही वजह है कि वह अब पुराने शिक्षकों से कन्नी काटने लगे हैं ।

जिधर दम उधर हम

कभी भाजपा के एकदम करीबी रहे कर्मचारी नेता पुरानी पेंशन बहाली के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करने गए तो जमकर नारे लगाए पूरी टीम ने कहा मुख्यमंत्री कैसा हो भूपेश बघेल जैसा हो । यह वीडियो उनकी टीम ने जमकर शेयर भी किया , घूमते फिरते यह वीडियो जब उनके करीबी भाजपा नेता के पास पहुंचा तो एक बारगी उन्हें भी विश्वास नहीं हुआ । नाक भौं सिकोड़ते हुए अपने करीबी से पूछ ही लिया – अपना यह नेता दिल से जय जयकार कर रहा है या दिमाग से !

उड़नदस्ता हुआ उड़न छू

दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं अब खात्मे की ओर है लेकिन नकल प्रकरण के नाम पर किसी भी जिले से खबरें नहीं आ रही है गिने-चुने प्रकरण ही बनाए गए हैं ऐसे में यह माना जा रहा है कि अधिकारी भी इस बात को भली-भांति जानते और मानते हैं कि कोरोना काल ने छात्रों की पढ़ाई का जमकर नुकसान किया है ऐसे में उड़नदस्ता की सख्ती कुछ ज्यादा ही भारी पड़ सकती थी सो अघोषित रूप से नरमी बरती जा रही है कई जगह पर तो फ्लाइंग स्कॉट की टीम ने सब कुछ देख कर भी आंखें बंद कर ली और हिदायत देकर आगे बढ़ गए ।

अंत मे 2 सवाल आप से

सवाल 1) किस जिला शिक्षा अधिकारी ने ट्रांसफर के आवेदन पर अनुशंसा के लिए रेट तय कर दिया है ??

2) क्या सरकार अतिथि शिक्षकों को सौगात देने जा रही हैं ??

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