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कौन बचा रहा है डॉ वर्मा को: चौसिंगों की मौत से पहले शावकों की मौत मामले में भी फंसे थे, आरोप पत्र दायर होने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई, पढ़े जंगल कांड- पार्ट 2

रायपुर 20 जनवरी 2024। वन विभागों में जब से 17 चौसिंगों की मौत का मामला आया है, एक के बाद एक चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। खासकर डॉ राकेश वर्मा की कारगुजारी के एक से बढ़कर एक किस्से सामने आ रहै हैं। हैरानी की बात ये है कि कई बार डाॉ राकेश के खिलाफ फाइलें भी चली, लेकिन ना जानें अधिकारियों का कौन सा राज छुपा है कि डॉ वर्मा पर हाथ डालने की कोई हिमाकत कर ही नहीं पा रहा है। जिस तरह से डाक्टर राकेश को बचाने की कोशिश हो रही है, उससे पीसीसीएफ जैसे अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। शावकों की मौत के मामले में भी डाक्टर वर्मा पर सवाल खड़े हुए थे। जांच रिपोर्ट भी उनके खिलाफ तैयार हुई थी।

दरअसल जंगल सफारी में सिंहनी वसुधा ने 6 जून 2018 को चार शावकों को जन्म दिया। तब संचालक जंगल सफारी ने डॉ. वर्मा को वसुधा को भविष्य में समागम हेतु छोड़े जाने के लिए समस्त स्टाफ के सामने मना किया था, संचालक ने कहा था सफारी प्रजनन केंद्र नहीं है। इसके बावजूद ठीक एक माह बाद डॉ वर्मा ने 6 जुलाई से 10 जुलाई तक वसुधा को वासु नामक सिंह के साथ रखा। जिससे वह पुनः गर्भवती हो गई और बाद में चार शावकों को और जन्म दिया जो मर गए, पहले जन्मे चार शावकों में से दो को छोड़कर बाकी सब मर गए। अनुसूची एक के वन्य प्राणी को किसी वरिष्ठ कार्यालय के आदेश के बिना जू में ना तो एक साथ रखा जा सकता है और ना ही जू क्षेत्र से बाहर रखा जा सकता है। इस संबंध में जंगल सफारी प्रबंधन ने पहले जाँच की, बाद में आरोप पत्र बना कर मुख्यालय भेज दिया।

2018 में क्या कूटरचना की गई

डॉक्टर वर्मा 20 अगस्त 2018 से 4 सितंबर तक कुल 16 दिवस का अर्जित अवकाश लेकर छुट्टी पर चले गए थे। परंतु वापस आने के बाद 26 अगस्त और 31 अगस्त की सिंहनी वसुधा की डेली रिपोर्ट में प्रिस्क्रिप्शन और गर्भधारण की संभावनाओं को लिखा, जबकि उस अवधि में डॉक्टर वर्मा अर्जित अवकाश पर थे। बाद में दस्तखत पर सफेदा लगा दिया। इस संबंध में रिपोर्ट में उल्लेखित किया है कि अर्जित अवकाश में रहते हुए डॉक्टर वर्मा द्वारा महत्वपूर्ण शासकीय अभिलेख में इंद्रजाल किया जाना डॉक्टर वर्मा की कूट रचना है, वरिष्ठ कार्यालय को दिग्ब्रमित करने का प्रयास है।

अप्रैल 2023 से आरोप पत्र लंबित है मुख्यालय में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) में

संचालक जंगल सफारी ने डॉक्टर राकेश वर्मा के विरुद्ध आरोप पत्र बनाकर भी मुख्यालय भेजा, जिसमें उल्लेख किया है कि उन्होंने लिखा है कि 20 अगस्त 2018 से 4 सितंबर के दैनिक रिपोर्ट में अपने स्वय के हस्ताक्षर पर कूट रचना कर अदिवितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, सफेदा लगाकर शासन के साथ धोखा करने का कुकृत्य किया। आरोप पत्र मुख्यालय को भेजा गया था जिसे बार बार सुधरने के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) कार्यालय, संचालक जंगल सफारी को वापस भेज देता था। अंत में अप्रैल 2023 को पुनरक्षित आरोप पत्र भेजा गया जो कि जानकारी के अनुसार प्रधान मुख्य वन संरक्षक(वन्य प्राणी) के यहाँ रुका हुआ है।

मनमर्जी करते थे डॉक्टर

जांच रिपोर्ट में लिखा गया है की डॉ राकेश वर्मा द्वारा नंदन वन जू एंड सफारी में अपनी मर्जी से समस्त कार्य संपन्न करते रहे हैं, जबकि वह किसी भी कार्य को करने के लिए सक्षम नहीं थे। जांच रिपोर्ट में उल्लेखित किया है कि डॉक्टर वर्मा सैंपल का परीक्षण करने के लिए ऐसे संस्थानों को भेज देते थे जहां परीक्षण की सुविधा भी नहीं होती थी। वन्य प्राणी सिंह अनुसूची एक का वन्यप्राणी है। अनुसूची एक के वन्य प्राणी को किसी वरिष्ठ कार्यालय के आदेश के बिना किसी भी अंग का नमूना लेकर किसी भी संस्थान में प्रशिक्षण हेतु नहीं भेजा जा सकता है।

अधिकारीगण, डॉ वर्मा को जंगल सफारी से हटाने की मांग करते रहे परन्तु नहीं हटाये गए

मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एव क्षेत्र संचालक उदंती सीता नदी टाइगर रिज़र्व ने भी 14 जनवरी 2019 पर अनुशासत्मक कार्यवाही करते हुए जंगल सफारी से हटाने का पत्र लिखा था।

गौरतलब है कि पहले डॉ राकेश वर्मा पहले वेटरिनरी विभाग में कार्यरत थे परंतु बाद में उन्होंने अपना संविलियन वन विभाग में करा लिया। तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने 15 नवंबर 2018 को डॉ राकेश वर्मा के संविलियन को निरस्त करते हुए अनुशासत्मक कार्यवाही करते हुए उन्हें मूल विभाग में वापस करने के लिए शासन को अनुरोध किया था, परंतु उसे पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।

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