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CG: आज कोरबा में दहाड़ेंगे अमित शाह……पक्ष और विपक्ष की केंद्रीय गृहमंत्री शाह की रैली पर टिकी नजर

कोरबा 7 जनवरी 2023। छत्तीसगढ़ में पिछले तीन दिनों से लोगों की जुबान पर बस दो ही चर्चाए हैं, पहला प्रदेश में चल रही शीतलहरी और दूसरा कोरबा में अमित शाह की रैली। जीं हां आज दोपहर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कोरबा में बड़ी राजनैतिक रैली करने के साथ ही लोकसभा कोर कमेटी की बैठक लेकर पदाधिकारियों का चार्ज करेंगे। अमित शाह की इस रैली पर पक्ष के साथ ही विपक्ष की नजर टिक गयी हैं। नये साल के पहले सप्ताह में ही अमित शाह का कोरबा में राजनैतिक रैली करना अपने आप में कई मायने रखता हैं। लिहाजा बीजेपी जहां अमित शाह के इस दौरे को विधानसभा चुनाव का शंखनाद मानकर कमर कस रही हैं। वहीं विपक्ष की भी इस रैली पर पूरी नजर हैं।

छत्तीसगढ़ में गुलाबी ठंड के बीच अमित शाह की कोरबा में रैली ने राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया हैं। जब से अमित शाह के कोरबा प्रवास का प्रोटोकॉल सामने आया है, तब से जहां एक ओर बीजेपी के बड़े नेता और कार्यकर्ताओं में एक अलग ही जोश देखा जा रहा हैं। वही दूसरी तरफ विपक्ष की नजर भी अमित शाह की इस रैली पर टिकी हुई हैं। अमित शाह के कोरबा में राजनीतिक सभा को लेकर कई तरह के कयास भी लगाये जा रहे हैं। राजनीतिक दलों में ये चर्चा गर्म हैं कि काले हीरे की धरती कोरबा में रैली कर अमित शाह सूबे की भूपेश बघेल सरकार को एक बार फिर कोयले पर अवैध वसूली और ईडी की कार्रवाई को लेकर घेर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ बीेजेपी संगठन का कहना हैं कि अमित शाह का ये दौरा छत्तीसगढ़ में हार का सामना करने वाले दो लोकसभा सीटों के मद्देनजर की जा रही हैं। जिसे लेकर अमित शाह अपनी रैली के बाद लोकसभा कोर कमेटी की बैठक लेकर पदाधिकारियों को चार्ज करने के साथ ही चुनाव जीतने के विशेष टिप्स भी देंगे।

कांग्रेस के साथ ही बीजेपी में भी गुटबाजी हैं हावी…….

छत्तीसगढ़ के कोरबा और बस्तर लोकसभा सीट में हुई हार की बात करे, तो स्थानीय गुटबाजी भी इस हार में कही ना कही बड़ा वजह रही हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने बीजेपी से ज्योतिनंद दुबे को कोरबा लोकसभा से टिकट दिया था। लेकिन एक बार पहले विधानसभा चुनाव हार चुके ज्योतिनंद दुबे को दोबारा पार्टी द्वारा लोकसभा का टिकट देना पार्टी के ही कई नेताओं को रास नही आया था। लिहाजा ज्योतिनंद दुबे का नाम फाइनल होने के बाद लोकसभा क्षेत्र में ही गुटबाजी दिखने लगा, जिसका सीधा फायदा कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत को मिली और उन्होने बीजेपी के कैडिडेट को हराने में सफलता हासिल कर ली।

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