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CG NEWS:VIDEO- इस मंदिर में आज भी माताओं की सूनी गोद में गुंजती हैं किलकारियां, मान्यता ऐसी की इस खास दिन पुजारी पर देवी मां का होता हैं वास…….जिस पर भी पड़ जाये पुराजी के पांव…..

धमतरी 29 अक्टूबर 2022। भारत आस्था और चमत्कारों का देश हैं। विज्ञान के बढ़ते दायरे के बाद भी हमारे देश में लोगों का देवी-देवताओं के प्रति अटूट आस्था देखी जा सकती हैं। जीं हां कुछ ऐसी ही अटूट आस्था धमतरी के मां अंगार मोती देवी का हैं, यहां मान्यता हैं कि निःसंतान माताओं की सूनी गोद भर जाती हैं। दीपावली के बाद साल में एक दिन मंदिर परिसर में लगने वाले मढ़ई में पंडित ऐसी महिलाओं की पीठ पर से चलकर गुजरते हैं। जिसके बाद संतानहीन माताओं की सूनी गोद भर जाने की मान्यता आज भी कायम हैं।

गौतरलब हैं कि छत्तीसगढ़ का धमतरी जिला अपने बांधो के लिये पहचाना जाता है। लेकिन जब गंगरेल बांध नहीं बना था, तब यहां बसे गांवो में शक्ति स्वरूपा मां अंगार मोती देवी इस इलाके की अधिष्ठात्री देवी थी। बांध बनने के बाद तमाम गांव डेम के जद में आकर डूबान क्षेत्र में आ गये। लेकिन माता के भक्तों ने अंगार मोती देवी को गंगरेल तट पर स्थापित किया गया। जहां साल भर भक्त दर्शन और मन्नत लेकर पहुंचते हैं। यहां पूरे साल में एक दिन सबसे खास होता है। यहां के लोगों की माने तो दीपावली के बाद पहले शुक्रवार को यहां भव्य मड़ई लगता है।

जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मां अंगार मोती का आदिवासी परंपराओ के साथ पूजा और रीतियां निभाई जाती है। इसके साथ ही इस खास दिन पर यहां बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं भी आती है, जिनकी गोद सालों से सूनी हैं। मंदिर की मान्यता हैं कि मढ़ई के दिन यहां केपुजारी {बैगा} पर मां अंगार मोती देवी का वास रहता हैं। ऐसे में बैगा जिन भी निःसंतान महिलाओं के पीठ को कुचलते हुए उनके उपर से चलकर गुजरता हैं, उन्हे देवी मां का सीधे संतान प्राप्ति का आर्शीवाद मिलता हैं। वर्षो पुरानी इस मान्यता के सामने आज भी लोग आस्था के साथ सर झुकाते हैं। इस वर्ष भी दीपावली के ठीक बाद पहले शुक्रवार को मां अंगार मोती के दरबार में मढ़ई लगा।

यहां करीब 300 निःसंतान महिलांए संतान की कामना के साथ मंदिर पहुंची थी। महिलाएं हाथ में नारियल, नींबू, फूल लेकर मां अंगार मोती के दरबार के सामने जमीन पर लेटीं। सुहागिनों के ऊपर शुक्रवार शाम के वक्त मंदिर के मुख्य पुजारी ईश्वर नेताम ने उन्हें आशीर्वाद दिया। जमीन पर लेटने वाली सुहागिनों की भीड़ इतनी ज्यादा रही कि मां अंगार मोती के दरबार से लेकर मंदिर के प्रवेश द्वार तक करीब 400 मीटर तक का रास्ता उनसे भर गया। विधिवत पूर्जा अर्चना के बाद मंदिर के पुजारी ने दरबार के सामने लेटी महिलाओं की पीठ पर से चलते हुए गुजर गये।

मान्यता के अनुसार पुजारी के पैर से कुचले जाने के बाद निःसंतान महिलाओं की संतान प्राप्ति की मुराद पूरी हो जाती हैं।हर साल की तरह इस साल भी इस आस्था के पर्व में हजारों श्रद्धालु मां अंगार मोती के दरबार में अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए दर्शन करने पहुंचे। ऐसे में एक ओर जहां मेडिकल साइंस निःसंतान महिलाओं की सूनी गोद भरने के लिए कई खोज कर चुका हैं। वही दूसरी तरफ आज भी शिक्षित महिलांए इस परंपरा का श्रद्धा से पालन करती देखी जा सकती हैं।

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