हेडलाइनब्यूरोक्रेट्स

Jigyasa Sahare: IAS बनने बस्तर की इस बेटी ने छोड़ी 15 लाख की नौकरी, जगदलपुर की जिज्ञासा को UPSC में मिली 681वीं रैंक

Jigyasa Sahare UPSC 681 Rank: छत्तीसगढ़ से जिन 7 युवाओं ने UPSC में कामयाबी के झंडे गाड़े हैं, उनमें बस्तर एक बेटी भी शामिल है। जगदलपुर की रहने वाली जिज्ञासा सहारे ने UPSC में 681वीं रैंक हासिल की है। पिछले बार के ट्रेंड के मुताबिक उन्हें IAS या फिर IRS मिल सकता है। अपने तीसरे प्रयास में UPSC क्रैक करने वाली जिज्ञासा ने IAS बनने के सपने को सच करने के लिए 15 लाख की नौकरी तक छोड़ दी। उनकी इस कामयाबी से उनका परिवार तो गदगद है, हालांकि खुद जिज्ञासा आपनी रैंक से बहुत खुश नहीं है। nwnews24.com से बात करते हुए जिज्ञाासा कहती है कि उनका सपना IAS बनने का है, जब तक वो IAS बन नहीं जाती, तब तक वो अपने लक्ष्य नहीं डिगेगी।

स्कूलिंग जगदलपुर और 12वीं विशाखापट्टनम से की

जिज्ञासा कहती है कि उनकी रैंकिंग के हिसाब से वो IAS की बोर्डर लाइन पर हैं, इसलिए वो कंफर्म नहीं है, कि उन्हें IAS मिलेगा ही मिलेगा, अगर उन्हें IAS नहीं मिलता है, तो फिर उन्हें IRS मिल सकता है। उन्होंने अपनी च्वाइस में IPS नहीं दिया था, लिहाजा इसी दो में से एक उन्हें मिलेगा। जिज्ञासा बताती है कि 10वीं तक की पढ़ाई उन्होंने जगदलपुर के निर्मल स्कूल में की। जबकि 11वीं-12वीं की पढ़ाई के लिए वो विशाखापट्टनम चली गयी। विशाखापट्टनम में 12वीं के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री NIT नागपुर में इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स में ली। 2018 में इंजीनियरिंग कंप्लीट करने के बाद उनका कैंपस सेलेक्शन आदित्य बिड़ला ग्रुप में हो गया।

15 लाख की नौकरी छोड़ी

जिज्ञासा पढ़ने में तो तेज थी ही,  काफी मेहनती भी थी। कालेज कंप्लीट होते ही, उनका सेलेक्शन आदित्य बिड़ला ग्रुप में 15 लाख के पैकेज पर हो गया। जिज्ञासा बताती है कि उन्होंने 2 साल तक नौकरी की। आदित्य बिड़ला ग्रुप में उनका दिल नहीं लगा और दिल में एक बार फिर से IAS बनने का ख्वाब जग गया। लिहाजा, नौकरी करते हुए भी जिज्ञासा ने UPSC देने की कोशिश की, लेकिन उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में जिज्ञासा के सामने दो ही विकल्प थे, या तो नौकरी करते रहे या फिर IAS बनने के लिए नौकरी छोड़ दे। कई जद्दोजहद भरे दिन के बाद आखिरकार जिज्ञासा ने 2020 में नौकरी छोड़ ही दी। हालांकि ये पूछने पर कि नौकरी छोड़ने का फैसला कितना मुश्किल से भरा था? जवाब में वो कहती है कि पैसा उनके लिए कभी मैटर नहीं करता था। ये उनका खुद का फैसला था कि नौकरी छोड़ दे, इसलिए परिवार ने भी उस फैसले में उनका सपोर्ट किया।

तीसरे प्रयास में सफलता की हासिल

2020 में नौकरी छोड़ने के बाद जिज्ञासा ने 2021 में पहले प्रयास में प्री तो निकाल लिया, लेकिन वो मेंस से आगे नहीं बढ़ पायी। उसके बाद 2022 में उन्होंने फिर से कोशिश की, लेकिन परिणाम 2021 वाला ही रहा, वो फिर से प्री क्लियर कर गयी, लेकिन मेंस क्रैक नहीं कर पायी। 2021 और 2022 की नाकामी को दूसर करते हुए 2023 में तीसरा प्रयास जिज्ञासा ने किया और फिर सारी बाधाओं को दूर करते हुए उन्होंने 681वीं रैंक हासिल कर ली। जिज्ञासा अभी भी IAS बनने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ना चाह रही है।

पिता SBI में और मां पोस्टल डिपार्टमेंट में है पोस्टेड

जिज्ञासा के पिता धनेश्वर सहारे जगदलपुर में ही SBI में ही स्पेशल एसोसिएट हैं, जबकि मां महेश्वरी सहारे पोस्टल डिपार्टमेंट में पोस्टेड है। जिज्ञासा बताती है कि उनकी फैमली काफी सपोर्टिव है, लिहाजा उनके लिए यूपीएससी की राह काफी आसान हो गयी।जिज्ञासा एक भाई है, जो अभी बैग्लोर में तैयारी कर रहा है।

सोशल मीडिया से कनेक्ट रही

जिज्ञासा की कामयाबी की राह दूसरे अभ्यर्थी से अलग है, वो कहती है कि UPSC से तैयारी करते हुए भी, वो सोशल मीडिया से कनेक्ट रही और खुद को रिफ्रेश करने के लिए मूवी भी देखी। ये पूछे जाने पर अधिकांश अभ्यर्थी इन दोनों चीजों से खुद को दूर कर लेते हैं, जवाब में जिज्ञासा कहती है कि उन्होंने तैयारी के दिनों सोशल मीडिया पर बैलेंस रखा। जब एग्जाम करीब होता था, तो सोशल मीडिया, फेसबुक कम चलाती थी, लेकिन बाद में जब वक्त मिलता , तो फिर उसमें एक्टिव रहती थी। जिज्ञासा से जब NW न्यूज ने ये पूछा किअगर सिविल सर्विस नहीं, तो फिर जिज्ञासा कहां होती, किस फील्ड में होती?  तो उनका जवाब था, वो प्रोफेसर होती।

 

 

 

 

 

 

Back to top button