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अगले कुछ घंटे बेहद अहम, दो टुकड़ों में बंटकर चांद तक का सफर पूरा करेगा चंद्रयान-3

17 अगस्त 2023 चंद्रयान-3 अब चांद से चंद किलोमीटर की दूरी पर है, अब यह ऐसे पड़ाव पर है, जहां से चंद्रयान-3 खुद को चांद की सतह पर उतरकर एक नया इतिहास लिखने के लिए तैयार कर रहा है. चांद की सर्कुलर ऑर्बिट में पहुंचने के बाद अब चंद्रयान-3 दो अलग-अलग हिस्सों में बंटेगा. 17 अगस्त को विक्रम लैंडर से प्रोप्ल्शन मॉड्यूल अलग हो जाएगा. आगे का सफर दोनों अलग-अलग तय करेंगे.

Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर को चांद के सतह पर उतरने की आखिरी 100 किलोमीटर की यात्रा खुद करनी है.

23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करेगा चंद्रयान-3

चांद से न्यूनतम दूरी जब 30 किलोमीटर रह जाएगी तब लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरने की यात्रा शुरू करेगा और ये 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 पर होगा। हालांकि सॉफ्ट लैंडिंग की इस प्रक्रिया में अभी कई चुनौतियां हैं। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा का आधे से ज्यादा स्पेसक्राफ्ट पूरा कर चुका है और 23 अगस्त को यान चंद्रमा पर लैंड करेगा। आइए बताते हैं चंद्रयान-3 का लॉन्च होने से लेकर 23 अगस्त तक का प्रोसेस-

चंद्रयान-3 का सफर

  • 14 जुलाई, 2023: दोपहर 2.45 बजे LVM3 रॉकेट से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया। 16 मिनट बाद रॉकेट ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा।
  • 14 जुलाई-31 जुलाई, 2023: चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाता रहा। इंजन फायरिंग से स्पेसक्राफ्ट ने 5 बार अंडाकार कक्षा बढ़ाई।
  • 1 अगस्त, 2023: चंद्रयान-3 के कक्षा का ट्रांसफर हुआ। स्पेसक्राफ्ट ने चंद्रमा की तरफ बढ़ना शुरू किया।
  • 5 अगस्त, 2023: चंद्रयान-3 का स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा
  • 16 अगस्त, 2023: चंद्रयान-3 चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में पहुंचा
  • 17 अगस्त, 2023: चंद्रमा से 100 किमी ऊपर प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर अलग होगा। लैंडर 100×30 किमी की कक्षा में स्पीड कम करना शुरू करेगा
  • 23 अगस्त, 2023: शाम 5:47 बजे लैंडर चांद पर लैंडिंग करेगा। रोवर रैंप से बाहर निकलेगा और 14 दिन तक चांद की सतह पर प्रयोग करेगा।
  • चंद्रयान का मकसद क्या है?
    दरअसल, चंद्रयान-3 के जरिए भारत चांद की स्‍टडी करना चाहता है। वो चांद से जुड़े तमाम रहस्‍यों से पर्दा हटाएगा। चंद्रयान 3 चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा। वह वहां के वातावरण, खनिज, मिट्टी वगैरह जुड़ी तमाम जानकारियों को जुटाएगा। 2008 में जब इसरो ने भारत का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, तब इसने चंद्रमा की परिक्रमा की और चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज की थी।

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