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गुण्डरदेही का चंडी मंदिर हिंदू मुस्लिम एकता की है मिसाल, यहां मंदिर से चढ़ता है मजार का पहला चादर…..

बालोद 7 फरवरी 2023। गुंडरदेही में कौमी एकता की अनूठी मिसाल लोगों को हमेशा आकर्षित करती रही है। यहां एक साथ हिंदू-मुस्लिम दोनों संप्रदाय के लोग पूजा अर्चना करते हैं। गुंडरदेही के बकरी बाजार में चंडी मंदिर है जहां हिंदू की पूजा करते हैं और मुस्लिम भी अपना भक्ति भाव दिखाते हैं।

बालोद जिला के गुण्डरदेही में एकता की ये मिसाल 100 वर्षो से बनी हुई है। गुंडरदेही के हटरी बाजार में चण्डी मंदीर में करीब 100 सालों से चण्डी मंदिर से मजार में पहला चादर चढ़ता है।

साम्प्रदायिक सौदर्य का माहौल यहां हमेशा से आर्कषण का केंद्र रहा है।कई वर्षो से मुस्लिम समाज के लोग यहां चण्डी मंदिर की सेवा करते रहे हैं।

यहां के लोगो के द्वारा हर त्यौहार बडे ही उत्साह से मनाया जाता है। गांव के मंदिर से कुछ ही दूरी पर मजार स्थित है। जहां पर दोनो समुदाय के लोग एक साथ पूजा अर्चना करते हैं।

स्थानीय लोगो ने बताया गुण्डरदेही में माँ चंडी का प्राचीन मंदिर। लोग बताते हैं कि सैकड़ों साल पहले रतनपुर राज्य में जब हमला हुआ तो ठाकुर निहाल सिंह अपनी सेना के साथ गुण्डरदेही पहुँचे….जहां उन्हें गुण्डरदेही की जमींदारी मिली। और 52 गांव का कमान वह संभालने लगे। जब ठाकुर निहाल सिंह रतनपुर में थे तब वह महामाया माई के भक्त थे और उन्हें महामाया माई की ओर से अद्भुत शक्तियां मिली थी। और वह गुण्डरदेही आये तो उन्होंने एक मंदिर तैयार किया और महामाया माई के स्वरूप माता चंडी की स्थापना की। ठाकुर निहाल सिंह को शक्ति प्राप्त होने के कारण उस समय आसपास के सारे लोग उसके पास शारीरिक व घर की समस्या लेकर पहुंचते थे और उसका समाधान ठाकुर निहाल सिंह करते थे ।वह हर रोज मां चंडी की पूजा आराधना भी करते थे।

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