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खबर पक्की है : फेडरेशन में नेतृत्व परिवर्तन?….गर्मी की छुट्टी में होगा डीए के लिए प्रदर्शन…. ट्रांसफर के नाम पर फंसे लाखों रुपए

खबर पक्की है शिक्षकों का सबसे लोकप्रिय कालम है। NWन्यूज 24 के इस सप्ताहिक कालम के लिए अगर आपके पास कोई अंदर की खबर हो तो हमारे साथ जरूर साझा करें। हम उसकी पड़ताल कर इस कालम में जरूर प्रकाशित करेंगे।

फेडरेशन में नेतृत्व परिवर्तन?

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन एक ऐसा संगठन है जिसके हिस्से में सफलता से ज्यादा सुर्ख़ियों रही है। वेतन विसंगति की अधूरी लड़ाई और प्रमोशन के उलझे पेंच के बीच अब फेडरेशन में नेतृत्व परिवर्तन पर खूब चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया में चुटकियों का दौर जारी है कि वेतन विसंगति नहीं दिला पाये मनीष मिश्रा इस्तीफा कब देंगे ? कई तो मनीष मिश्रा के एक पोस्ट को भी वायरल कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कभी मांग नहीं पूरा कराने पर इस्तीफी दे देने का ऐलान कर दिया था। वैसे वर्तमान में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा है लेकिन उनका कार्यकाल अब सितंबर में समाप्त होने जा रहा है ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या फेडरेशन का नेतृत्व किसी अन्य हाथ में जाएगा या फिर से मनीष मिश्रा ही संगठन का नेतृत्व करेंगे । ऐसे सूत्रों का बताएं तो कई लोग रेस में है लेकिन इस बात में भी उतनी ही सच्चाई है कि मनीष मिश्रा के पास एक ऐसी जादुई घुट्टी है जिसे पीते ही सारे विरोध के सुर साथ हो जाते हैं और ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ है जब लगा कि पासा पलट रहा है लेकिन हुआ कुछ नहीं ।

श्रेय का खेल

न्यायधानी में प्रधान पाठक 2 साल तक अपनी समस्या को लेकर दर-दर भटकते रहे, लेकिन प्रधान पाठकों की समस्या को सुलझाने के लिए बने संगठन को कानों कान खबर नहीं हुई। जैसे ही मामला मीडिया में आया तो श्रेय लेने का खेल शुरू हो गया और प्रधान पाठकों का झंडा बरदार बनने की फिराक में एक बुजुर्ग नेता ने सारे पक्षों से बात करने का शिगूफा सोशल मीडिया में छेड़ दिया, हालांकि इसमें कोई सच्चाई नहीं है और उन्होंने स्वयं पीड़ित पक्ष तक से बात नहीं की है यह जमीनी हकीकत है। बताते हैं कि नेताजी कई मामलों में ऐसे ही श्रेय लेने पहुंच जाते हैं जबकि उनका कोई योगदान होता नहीं है ऐसे इस पूरे मामले में जो सहयोग कर रहे हैं वह नेताजी भी यह स्थिति देखकर जरूर मंद मंद मुस्कुरा रहे होंगे और कह रहे होंगे की “मेहनत करें मुर्गी और अंडा खाए फकीर”


खेल कमीशन का

बीते 1 साल में जितने भी केस रिटायरमेंट के बाद राशि भुगतान लटकाने के सामने आए हैं उन सब में आमतौर पर यह देखा गया है कि पूरा खेल कमीशन का है। रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को अच्छी खासी राशि मिलती है। ऐसे में गुरुजी को मिलने वाली इस राशि पर कार्यालय के बाबू की नजर होती हैं। बकायदा कमीशन का प्रतिशत फिक्स किया जाता है। बताते हैं कि बिना राशि खर्च किए तो किसी को भी अपनी पूरी धनराशि नहीं मिलती। कोई कम में तो कोई ज्यादा में मामला सेट करता है और जब बात नहीं बनती तो यही मामला मीडिया में आ जाता है। ताज्जुब की बात है कि जीवन भर संघर्ष करने वाले गुरुजी को अपनी ही राशि पाने के लिए रिश्वत देना पड़ता है। हालांकि इन पूरे मामलों की रिपोर्ट एक युवा नेता के जरिए लगातार शासन प्रशासन तक पहुंच रही है और विभाग इसमें गंभीर भी है हो सकता है ऐसे ही किसी मामले में बड़ी कार्यवाही करके नजीर भी पेश कर दी जाए। भरारी वाले मामले में भी कार्यालय द्वारा संबंधित कर्मचारी को किसी प्रकार का कोई दस्तावेज जमा करने हेतु पत्र नहीं जारी किया गया और जब लेनदेन का आरोप लगा तो कहा जा रहा है कि कुछ दस्तावेजों की कमी है। सवाल यह है कि जिन दस्तावेजों की कमी है उसे लेकर प्राचार्य द्वारा प्रधान पाठक को संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए कोई पत्र जारी क्यों नहीं किया गया ।

ट्रांसफर के नाम पर फंसे लाखों रुपए

जब से शिक्षकों का ऑनलाइन ट्रांसफर शुरू हुआ है तब से ट्रांसफर कराने के लिए दलाल भी सक्रिय हो गए हैं और दलाली भी ऐसी कि पूछो मत ….. सहायक शिक्षक और शिक्षक तक से ट्रांसफर के नाम पर लाखों रुपया जमा कर लिए गए हैं। इधर जिला शिक्षा अधिकारी से आवेदन फॉरवर्ड होकर डीपीआई के पास पहुंचा और डीपीआई ने एक सिरे से आवेदन को यह कहते हुए निरस्त कर दिया की सहायक शिक्षक और शिक्षक का तबादला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है और यही दलाल फस गए । दरअसल पूरा खेल इस बात का रहता है कि प्रक्रिया जितनी लंबी चले उतनी अधिक कमाई और यदि काम न हो तो राशि की कटौती करके लौटा दो। अब मामला दूसरे स्टेप में ही उल्टा पड़ गया तो गुरुजी राशि लौटाने के लिए भी दबाव बना रहे हैं। आने वाले समय में ऐसे ही कुछ मामले निकल कर सबके सामने आ जाए तो आश्चर्य का विषय नहीं होगा, क्योंकि लेनदेन तो जबरदस्त चल रहा है ऐसे लोग भी बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं जिनका अपने विकासखंड कार्यालय तक में सही पहुंच नहीं है ।

क्या गर्मी की छुट्टी में होगा डीए के लिए प्रदर्शन

इस बात की संभावना है कि कुछ दिनों में डीए की घोषणा हो जाए, लेकिन यदि नहीं हुआ तो DA के लिए बनाया गया मोर्चा क्या जमीन पर उतरेगा ? यह बड़ा सवाल इसलिए क्योंकि इस मोर्चा में ताकत झोंकने वाले शिक्षक संगठन पिछले ही कार्यक्रम में गर्मी को वजह बताते हुए खिसक लिए थे ऐसे में अब तो गर्मी की छुट्टी है और उनका विधिवत अवकाश है तो क्या वह अपनी छुट्टी बर्बाद कर हड़ताल में उतरने का हौसला दिखाएंगे क्योंकि नेता भले एलान कर दें लेकिन नीचे क्या स्थिति होगी वह 11 से 13 के बीच में साफ दिखाई दे गई थी जिसमें केवल 13 को ही थोड़ी भीड़ उमड़ी और वह क्यों हुआ था वह किसी से छिपा नहीं है ।

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