शिक्षक/कर्मचारी

फेडरेशन के इस नेता ने कर दिया गजब कमाल…. हड़ताल में रहने का ढिंढोरा पीट कर बनवा लिया अपना व्यक्तिगत वेतन और अन्य को छोड़ दिया भगवान भरोसे…अधिकतर CAC और प्रभारी प्रधान पाठकों का भी यही हाल !

रायपुर 31 दिसंबर 2021। फेडरेशन का जब आंदोलन चल रहा था तो गैरों ने उसकी लुटिया डूबोने में कोई कर कसर नहीं छोड़ी…और अब जब आंदोलन खत्म हो गया है तो सहायक शिक्षक फेडरेशन के नेता ही अपने आम शिक्षकों को धोखा देने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। ये बातें इसलिए कही जा रही है क्योंकि हड़ताल पर गये आम सहायक शिक्षक अभी भी वेतन की बाट जोह रहे हैं, लेकिन कुछ नेताओं ने अपना वेतन बैकडोर से बनवा लिया है। ऐसे में सवाल ये भी उठने लगा है कि कहीं फेडरेशन के इस आंदोलन में आम शिक्षकों को आगे कर कुछ नेताओं ने ड्यूटी तो ज्वाइन नहीं कर ली थी। और अगर नहीं भी ज्वाइन की थी, तो तिकड़म भिड़ाकर हड़ताल का झूठा दिखावा तो नहीं कर दिया।

प्रदेश के कई जगहों से खबरें ये आ रही है कि फेडरेशन के कुछ पदाधिकारियों को वेतन मिल गया है। खासतौर से जो CAC और प्रधान पाठक हैं उन्होंने यह खेल ज्यादा खेला है दरअसल CAC की उपस्थिति अधिकांश जगह पर अधिकृत रूप से दर्ज नहीं होती है तो वह सोशल मीडिया में हड़ताल का बिगुल भी फूंक दे रहे राजधानी रायपुर में आकर हड़ताल में शामिल भी होते रहे और वेतन बनने के समय अपने सोर्स का प्रयोग का वेतन भी बनवा लिया ।

बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लॉक में कार्यरत CAC प्रमोद कुमार कीर्ति जो कि फेडरेशन के ब्लॉक अध्यक्ष भी हैं उन्होंने भी अधिकारियों से यह कहकर अपना वेतन बनवा लिया कि मैं स्ट्राइक पर हूं लेकिन समन्वयक का काम कर रहा हूं इसलिए मेरा वेतन बनना चाहिए । विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने भी उनका बिल बनाने का निर्देश दिया तो उनका वेतन नहीं रोका गया जबकि मस्तूरी ब्लाक में करीब 850 शिक्षक हैं जो हड़ताल पर थे और जिनका वेतन रोका गया है । यानी जिसे देखकर मस्तूरी ब्लाक के शिक्षक हड़ताल पर जा रहे थे उन्होंने खुद अपने शिक्षक साथियों को अंधेरे में रखकर वेतन बनवा लिया बात चाहे बिलासपुर जिले की हो या अन्य जिले की अधिकांश जगह पर ऐसा ही हुआ है कि जो सहायक शिक्षक CAC के पद पर कार्यरत हैं यह प्रभारी प्रधान पाठक है उसमें से अधिकांश ने अपना वेतन बनवा लिया है । उनका ऐसा करना सांगठनिक लिहाज से सही है या गलत, यह तो फेडरेशन के शीर्ष पदाधिकारियों और आम शिक्षकों को तय करना है लेकिन नैतिक रूप से तो यह पूरी तरह गलत है

इधर इस मामले को फेडरेशन के अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने गंभीरता से लिया है। NW न्यूज से बात करते हुए कहा कि ..

“मेरी जानकारी में भी कुछ ऐसी बातें आयी है, कि कुछ जगहों पर कुछ लोगों का वेतन बन गया है। आप जिस फेडरेशन के पदाधिकारी प्रमोद कीर्ति की बात कह रहे हैं, वो तो हड़ताल में थे, फिर उनका वेतन कैसे बना, मैं इसकी जानकारी मंगवा रहा हूं और जो भी पदाधिकारी इस तरह की शिकायतों में पकड़े जायेंगे, संगठन के नजरिये से जो भी कार्रवाई होगी करेंगे। हमारी जिम्मेदारी आम सहायक शिक्षकों को लेकर है, अगर उन्हें वेतन नहीं मिला है तो पदाधिकारियों की भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वो तब तक अपना वेतन ना बनवायें, जब तक आम शिक्षक को वेतन नहीं मिल जाता, निश्चित तौर पर फेडरेशन इसकी जांच करेगा और कार्रवाई भी करेगा”

 

 

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