हेडलाइन

5 साल से दागी वेटनरी डाक्टर पर क्यों है वन विभाग मेहरबान? RTI एक्टिविस्ट ने लिखा प्रमुख सचिव को पत्र, जंगल सफारी की सिंहनी वसुधा का डिलिवरी मामला

अंबिकापुर 2 अगस्त 2023। जंगल सफारी रायपुर में जानवरों के साथ हो रहे अत्याचार और सिहनी के शावकों की मौतों, सिंहनी वसुधा की डेली डायरी में कूट रचना को लेकर 5 साल बाद भी कार्यवाही नहीं किये जाने पर अंबिकापुर के आरटीआई कार्यकर्ता अधिवक्ता डी के सोनी ने प्रमुख सचिव वन छत्तीसगढ़ को पत्र लिख कर दोषी पशु चिकित्सक डॉक्टर राकेश वर्मा के विरुद्ध एफआईआर और अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की मांग की है।

क्या है पूरा मामला

6 जून 2018 को जंगल सफारी रायपुर की सिंहनी वसुधा ने चार शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से 2 की मृत्यु हो गई। इसके पश्चात 25 अक्टूबर 2018 को वसुधा ने पुनः चार शावकों को जन्म दिया, चारों की मौत हो गई। मात्र 4 माह के अंतराल में पुनः शावकों को जन्म देने के मामले ने तूल पकड़ा, क्यों कि जू में शावकों के बड़े हो जाने तक गर्भ धारण नहीं करवाया जाता।
जंगल सफारी प्रबंधन ने भी पशु चिकित्सक को निर्देशित किया कि जंगल सफारी प्रजनन केंद्र नहीं है अत: प्रथम प्रसव के बाद वसुधा का समागम नहीं कराया जाये। परन्तु निर्देशों के बावजूद “फाल्स हीट” में आना बता कर प्रसव के मात्र 16 दिन पश्चात दिनांक 22 जून 2018 को पशु चिकित्सक ने वासु नाम के सिंह के साथ वसुधा को छोड़ा, बाद में दुबारा 05 जुलाई 2018 से 10 जुलाई 2018 तक 5 दिनों के लिए वसुधा को वासु नाम के सिंह के साथ छोड़ा और प्रथम प्रसव के चार माह के अंतराल में वसुधा ने पुनः चार शावकों को जन्म दिया जो कि सभी मर गए।

कैसे की गई दस्तावेजों में कूट रचना

जंगल सफारी के पशु चिकित्सक डॉक्टर राकेश वर्मा 20 अगस्त 2018 से लेकर 4 सितंबर 2018 तक अर्जित अवकाश पर थे। बाद में यह पाया गया कि जब वह छुट्टी में थे तब 26 अगस्त 2018 के सिंहनी वसुधा की दैनिक रिपोर्ट में उन्होंने चिकित्सीय सलाह दी कि शावकों को दूध देना बंद किया जावे। 31 अगस्त 2018 को स्वंय की अर्जित अवकाश अवधि में पशु चिकित्सक ने सिंहनी वसुधा के गर्भवती होने का इन्द्राज दैनिक रिपोर्ट में किया तथा आहार बढ़ाने का लेख किया। जब मामले ने तूल पकड़ा तो पशु चिकित्सक ने 26 अगस्त 2018 और 31 अगस्त 2018 की डेली डायरी में अपने हस्ताक्षर पर सफेदा लगा दिया परंतु अपनी हस्तलिखित चिकित्सीय सलाह पर सफेदा लगाने से चूक गए।

जंगल सफारी प्रबंधन को आज तक नहीं मिली एफआईआर करने की अनुमति, डॉक्टर राकेश वर्मा अभी भी जंगल सफारी में

घटना को शासन के साथ छल मानते हुए तथा इसे सोची समझी साजिश के तहत कूट रचना का दुस्साहस कर प्रबंधन एवं स्टाफ को धोखे में रखने का अनैतिक कृत्य के विरुद्ध जंगल सफारी प्रबंधन ने पशु चिकित्सक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की अनुमति 12 अप्रैल 2019 को मांगी।
मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सह क्षेत्र संचालक उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व ने दिनांक 14 जनवरी 2019 को डॉ राकेश वर्मा को नंदन वन जू एवं जंगल सफारी से तत्काल हटाए जाने की अनुशंसा भी की।
डी के सोनी ने कहा कि आज 5 साल बाद तक जंगल सफारी प्रबंधन को पशु चिकित्सक के विरुद्ध एफआईआर की अनुमति न मिलना और अभी तक उसी पशु चिकित्सक का वहीं बना रहना साफ़ बताता है कि उस पशु चिकित्सक को बड़े अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।

तीन साल से चल रही है अनुशासनात्मक कार्यवाही की फाइल

मात्र 4 माह के अंतराल में पुनः शावकों को जन्म देने के मामले को लेकर शासन द्वारा डॉ राकेश वर्मा को 26 मार्च 2019 को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया। 2 नवंबर 2021 को शासन ने पशु चिकित्सक डॉक्टर राकेश वर्मा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु आरोप पत्र का प्रस्ताव प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) से मांगा।
आरोप पत्र कई बार बनाया गया और हर बार उसमें जंगल सफारी प्रबंधन से संशोधन मांगा जाता रहा है। जंगल सफारी प्रबंधन ने अंतिम बार संशोधन कर पुनरीक्षित प्रस्ताव 15 अप्रैल 2023 को भेजा।

क्या की गई है मांग

वर्ष 2018 में एक मूक जानवर के साथ किये गए अपराध पर जंगल सफारी प्रबंधन की एफआईआर किये जाने की मांग के बावजूद और अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित किये जाने के बावजूद डॉक्टर वर्मा जंगल सफारी में ही बने हुए हैं। अतः वन्यजीवों के व्यापक हित को देखते हुए डी के सोनी ने मांग की है कि प्रकरण में डॉक्टर राकेश वर्मा के विरुद्ध शीघ्र ही एफआईआर दर्ज करवा कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करें।

Back to top button