जॉब/शिक्षा

साझा मंच एवं सभी संगठनों के संयुक्त फोरम से निकलेगा समस्याओं का स्थाई हल …विधानसभा घेराव को “छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक/यूडीटी मंच” एवं “शिक्षक एलबी संवर्ग” का समर्थन नहीं…….

रायपुर 3 जनवरी 2022। कल 4 जनवरी के छत्तीसगढ़ विधानसभा घेराव को “प्रधान पाठक मंच एवं शिक्षक एलबी संवर्ग” का समर्थन नहीं है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि बगैर साझा मंच एवं संयुक्त फोरम के किसी भी आंदोलन की सफलता असंभव है।
किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति, सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति दूर करने, प्राथमिक प्रधान पाठकों की मांगों की पूर्ति सहित प्रदेश के 1,80,000 शिक्षक एलबी संवर्ग की विभिन्न मांगों की पूर्ति के लिए, प्रदेश में कार्यरत समस्त शिक्षक एलबी संवर्ग संगठनों का साझा मंच बनाकर आंदोलन करने की आवश्यकता है।
बगैर किसी साझा मंच के आंदोलन की सफलता मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। वर्तमान में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति एक ज्वलंत मुद्दा है। इसे लेकर प्रदेश के सहायक शिक्षकों ने 4 साल पहले विगत 2018 में इस आंदोलन के लिए सहायक शिक्षक फेडरेशन नामक मंच बनाकर आंदोलन की शुरुआत की थी।
विगत 4 वर्षों से लगातार सहायक शिक्षकों के द्वारा कई बार आंदोलन किया गया लेकिन आज तक समस्याएं जस की तस है। कारण सिर्फ और सिर्फ संगठनों के विभिन्न मंचों एवं टुकड़ों में बिखरे रहना है।
आज भी प्रदेश के विभिन्न संगठन अपनी अपनी मांगों को लेकर समय-समय पर अलग-अलग आंदोलन करते रहे हैं। जिसके कारण अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार को भी पता है कि प्रदेश के शिक्षक संगठन अलग-अलग धडो में बंटे हुए हैं।
इसलिए सरकार भी इनकी मांगों को अनसुना कर रही है। विगत वर्ष सहायक शिक्षकों ने 18 दिन आंदोलन किया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने हठधर्मिता दिखाते हुए सिर्फ सहायक शिक्षक फेडरेशन के बैनर तले आंदोलन किया था। फिर भी बाकी संगठनों के मुखिया केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, संजय शर्मा, विकास राजपूत एवं विवेक दुबे सहित अनेक संगठनों ने आंदोलन का समर्थन भी किया था।
मंच में समर्थन देने भी गए थे परंतु फिर भी उक्त आंदोलन यथोचित परिणाम तक नहीं पहुंच पाया। इसका कारण सिर्फ मनीष मिश्रा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा एवं सहायक शिक्षकों को अपने राजनीति के लिए इस्तेमाल करना रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू ने बताया कि सहायक शिक्षक द्वारा आंदोलन विभिन्न संगठनों का साझा मंच बनाकर और सभी संगठनों के मांगों को शामिल कर एक ठोस रणनीति बनाकर आंदोलन किया जाए। जिससे आंदोलन सफल होगा अन्यथा नहीं।
विगत वर्ष 18 दिन के आंदोलन में सभी संगठनों का साझा मंच नहीं होने के कारण मनीष मिश्रा दबाव में आ गए थे। आंदोलन अपने चरम पर था ऐसी स्थिति में प्रदेश के प्रदेश के मुखिया एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बालोद के एक सभा में फेडरेशन के नेताओं को घुड़की लगाई कि ये लोग शिक्षक हैं और शिक्षक का काम स्कूल में पढ़ाना है, ना कि आंदोलन करना। और यह शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं।
सीएम की एक घुड़की से मनीष मिश्रा डर गए और 18 दिन के धमाकेदार और जोरदार आंदोलन को खत्म करने का ऐलान कर दिया। अंततः सहायक शिक्षक निराश और हताश होकर अपनी स्कूलों को वापस लौट गए।
प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू ने स्पष्ट और साफ-साफ कहा है कि जब 18 दिन के आंदोलन से कुछ नहीं हुआ तो एक दिन के आंदोलन से क्या हो जाएगा…?????
मनीष मिश्रा द्वारा इस प्रकार से बीच-बीच में आंदोलन की घुट्टी पिलाकर विधानसभा घेराव, धरना प्रदर्शन करना वह भी सिर्फ एक ही संगठन द्वारा। यह सिर्फ और सिर्फ अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति और संगठन की साख को बनाए रखने के लिए ही इस प्रकार से किया जा रहा है।
इस प्रकार प्रदेश के सहायक शिक्षक साथियों को सावधान रहने की जरूरत है। जब तक साझा मंच ना बने तब तक किसी आंदोलन का हिस्सा बनना एक आत्मघाती कदम होगा। इससे ज्यादा कुछ नहीं।
प्रधान पाठक/यूडीटी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू ने कहा कि हम सहायक शिक्षकों के आंदोलन का पुरजोर समर्थन करते हैं परंतु इसके लिए साझा मंच बनाना आवश्यक है। जब तक सभी संगठन साझा मंच बनाकर आंदोलन नहीं करेंगे तब तक प्राथमिक प्रधान पाठक मंच एवं शिक्षक एलबी संवर्ग किसी भी आंदोलन का समर्थन नहीं करेगा।

Back to top button