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CG-…और JD हाईकोर्ट के तेवर देख सहमे: तुगलकी फरमान जारी करने वाले JD को हाईकोर्ट ने किया तलब, तो लिया “U टर्न”, कोर्ट में मानी गलती, लिखा, त्रुटिवश आदेश में लिखा….

जांजगीर 26 अप्रैल 2024। तुगलकी फरमान जारी करने वाले संयुक्त संचालक को हाईकोर्ट के तीखे तेवर के बाद “U टर्न” लेना पड़ गया। संयुक्त संचालक को ना सिर्फ अपना फैसला वापस लेना पड़ा, बल्कि गलती भी स्वीकारनी पड़ी। दरअसल जेडी ने अपील की सुनवाई में शिक्षा विभाग के सहायक ग्रेड-3 के खिलाफ पेनाल्टी का निर्देश दिया था। JD के इस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने संयुक्त संचालक को ही कोर्ट तलब किया था। जिसके बाद संयुक्त संचालक हाईकोर्ट में पेश हुए और अपनी गलती स्वीकारते हुए, अपना फैसला वापस ले लिया। पूरे मामले में याचिककर्ता की तरफ से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सलूजा ने की। याचिकाकर्ता के वकील मनीष सलूजा ने बताया कि विभागीय कार्रवाई चलने के दौरान संयुक्त संचालक की तरफ से पेनाल्टी लगाया जाना, उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था,  जिसे लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। आइये अब आपको पूरा मामला विस्तार से समझाते हैं..

सहायक ग्रेड-3 सुधांशु बरेठ ने निलंबन को दी थी चुनौती

सुधांशु बरेठ शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिर्रा, जांजगीर में सहायक ग्रेड 3 के पद पर पदस्थ हैं। उन पर ये आरोप लगा था कि वो बिना अवकाश स्वीकृत हुए छुट्टी पर चले गये हैं। जांजगीर के जिला शिक्षा अधिकारी ने ये दलील दी थी, कि एसडीएम ने अवकाश को अमान्य किया, बावजूद सुधांशु बरेठ 17 अगस्त 2023 को अवकाश पर चले गये। यही नहीं उन्होंने महिला कंप्युटर आपरेटर के साथ दुर्व्यवहार भी किया। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने सुधांशु बरेठ को 1 सितंबर 2023 को सस्पेंड कर दिया। डीईओ के इस निर्देश को सहायक ग्रेड-3 सुधांशु बरेठ ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता इस मामले में सक्षम अधिकारी के समक्ष 6 सप्ताह के भीतर अपील करेंगे और सक्षम अधिकारी इसका निराकरण करेंगे।

संयुक्त संचालक ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर लगा दी पेनाल्टी

हाईकोर्ट के निर्देश पर 31 अक्टूबर 2023 को याचिकाकर्ता सुधांशु बरेठ ने बिलासपुर संयुक्त संचालक के समक्ष अपील की। 14 नवंबर 2023 और 4 दिसंबर 2023 को जेडी कार्यालय को सुधांशु बरेठ और जांजगीर डीईओ को अपील की सुनवाई के लिए बुलाया गया। सुनवाई के बाद बिलासपुर संयुक्त संचालक ने ये निर्देश जारी कर कहा कि सुधांशु बरेठ के खिलाफ बिना अवकाश स्वीकृत हुए छुट्टी पर जाने और महिला आपरेटर के खिलाफ दुर्व्यवहार का आरोप सही है। शिकायत को एक तरफ से जेडी ने सही बताया, लेकिन दूसरी तरफ निलंबन बहाल भी कर दिया और नयी कार्रवाई करते हुए शास्ति अधिरोपित कर दिया। जबकि ये उनके अधिकारी क्षेत्र में ही नहीं था। याचिकाकर्ता के वकील मनीष सलूजा ने बताया कि जेडी के पास अपील निलंबन रद्द करने के लिए की गयी थी, लेकिन संयुक्त संचालक ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर डीईओ को एक इंक्रीमेंट रोकने का निर्देश दे दिया। हाईकोर्ट में इसे ही आधार बनाया गया।

सहायक ग्रेड-3 ने फिर लगायी याचिका

संयुक्त संचालक की इस दोहरी कार्रवाई के खिलाफ एक बार फिर सुधांशु बरेठ ने हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट में जस्टिस नरेंद्र व्यास ने सुनवाई करते हुए संयुक्त संचालक के आदेश को तुगलकी बताते हुए, कोर्ट में तलब किया। जस्टिस व्यास ने कहा कि अगर संयुक्त अपने इस आदेश को वापस ले लेते हैं, तो उन्हें पेश होने से छूट दे दी जायेगी, वो संयुक्त संचालक को ये विकल्प देते हैं।

 

संयुक्त संचालक ने वापस लिये अपने आदेश

हाईकोर्ट के तीखे तेवर को देखते हुए बिलासपुर संयुक्त संचालक की घिग्घी बंध गयी। संयुक्त संचालक ने कोर्ट में पेश होकर सॉरी तो कहा ही, साथ ही अपनी गलती स्वीकार करते हुए ना सिर्फ नया आदेश जारी किया, बल्कि उसमें ये लिखा भी,  त्रुटिवश शास्ति अधिरोपित करने का उल्लेख हो गया था। बिलासपुर संयुक्त संचालक ने सुधांशु बरेठ पर एक वार्षिक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने के आदेश को वापस ले लिया। उन्होंने अपने नये आदेश में लिखा है कि अब विभागीय जांच पश्चात गुण दोष के आधार पर पृथक से आदेश पारित किया जायेगा। नये आदेश में सुधांशु बरेठ को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोसीर, पामगढ़ में पदस्थ किया गया है।

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