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हड़ताल पर मोर्चा में असहमति…सख्ती का डर … या फिर कुछ और….? 12 घंटे में मोर्चा का U टर्न क्यों? हड़ताल के इतिहास में जो कभी नहीं हुआ था, वो इस बार मोर्चा ने कर डाला

रायपुर 27 जुलाई 2023। हड़ताल को लेकर असहमति या फिर सख्ती का डर ?…या फिर कुछ और….? आखिर ऐसा क्या हुआ जो संविलियन के बाद सबसे बड़े हड़ताल का दावा करने वाला मोर्चा बार-बार अपनी रणनीति बदलने को मजबूर है। कभी अधिकारियों से बातचीत के बहाने, तो कभी मंत्री से मुलाकात की आड़ लेकर हड़ताल को टालने की वजह तलाश रहा है। जैसे ही शिक्षा मंत्री से मुलाकात करने की आड़ में आंदोलन को स्थगित करने की खबरें व्हाट्सएप ग्रुप में वायरल हुई, शिक्षकों का गुस्सा अपने ही संघ के नेताओं पर भड़क उठा। नाराजगी की वजह भी लाजिमी है, क्योंकि बुधवार की शाम जब प्रमुख सचिव व DPI से मुलाकात कर मोर्चा के प्रांतीय संचालक दल खाली हाथ वापस लौटा तो दावा यही किया गया, कि 31 जुलाई की पूर्व प्रस्तावित हड़ताल जारी रहेगी। तो, फिर ऐसा क्या हो गया कि दावे के 12 घंटे से भीतर ही मोर्चा ने U टर्न लेते हुए आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया।

ना आश्वासन, ना हड़ताल, ना वार्ता के लिए बुलावा… छत्तीसगढ़ के इतिहास में ये पहली बार हो रहा है, जब आंदोलन का ऐलान करने के बाद बिना किसी वजह के ही हड़ताल को स्थगित कर दिया गया है। व्हाट्सएप ग्रुप पर शिक्षक खुलकर अपने नेताओं के खिलाफ लिख रहे हैं और प्रांतीय संचालक के फैसले का विरोध जता रहे हैं। सवाल इसलिए उठ रहा है कि, हड़ताल स्थगित करने के लिए शिक्षा मंत्री से मिलने का जो बहाना बनाया गया है, उसके पीछे की आखिर सच्चाई क्या है? … क्या ये बुलावा शिक्षा मंत्री की तरफ से आया है? … या फिर मोर्चा ने खुद से ही पहल कर मंत्री से मिलने की इच्छा जतायी है। जहां तक मंत्री से मुलाकात का सवाल है, तो शिक्षा मंत्री को बने 10 दिन से ज्यादा हो गया है। हड़ताल का ऐलान एक महीने पहले हुआ था, तो फिर मिलने के लिए इतने दिन का इंतजार क्यों किया गया।

और सबसे मजेदार बात ये है कि ये भी पहली बार हो रहा है कि पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई, आश्वासन मिला, अधिकारियों से मुलाकात का निर्देश दिया गया,…मुलाकात भी हुई, बात नहीं बनी। फिर उसके बाद अब शिक्षा मंत्री से मुलाकात हो रही है। छत्तीसगढ़ के आंदोलन का इतिहास यही कहता है कि पहले मंत्री से मुलाकात होती है और फिर बात नहीं बनने पर मुख्यमंत्री से मुलाकात का वक्त मांगा जाता है, लेकिन मोर्चा ने रिवर्स गियर में गाड़ी चलानी शुरू कर दी है। शिक्षकों के इस कथित सबसे बड़े प्रदर्शन में पारदर्शिता को लेकर प्रश्न चिन्ह अब खड़ा हो गया है। सहायक शिक्षक/समग्र शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष मनीष मिश्रा, शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विरेंद्र दुबे, नवीन शिक्षक संघ विकास राजपूत, संयुक्त शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केदार जैन और टीचर्स एसोसिएशन के संजय शर्मा के एक मंच पर आने से जो विरोधी कर्मचारी संगठन सकते में थे, वही संगठन अब मोर्चा की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं और हड़ताल को लेकर ढुलमूल रवैये की खिल्ली उड़ा रहे हैं।

शिक्षक पूछ रहे हैं कि पहले मुख्यमंत्री के निर्देश पर अफसर से मिले…अब फिर शिक्षा मंत्री से मुलाकात होगी और निर्देश पर उन्हीं अफसरों से मुलाकात होगी…आखिर ऐसा क्यों ? ये तो साफ यही इशारा कर रहा है कि मोर्चा की मंशा हड़ताल करने की है ही नहीं। हड़ताल टालने की वजह बार-बार, हर बार तलाशने की वजह से आखिर क्या है।

जिन्होंने हड़ताल का आवेदन सौंप दिया था, उनका क्या होगा

अधिकारियों से वार्ता संतोषजनक नहींं रहने का दावा कर जब से 31 जुलाई से आंदोलन की हुंकार मोर्चा ने भरी। व्हाट्सएप ग्रुप पर हड़ताल को लेकर आवेदन पत्र भी वायरल होने लगा। सोशल मीडिया में ही कई शिक्षक लिख रहे हैं कि उन्होंने 31 से हड़ताल पर जाने का आवेदन जमा भी करा दिया है, अब क्या होगा ?

क्या कहते हैं मोर्चा के प्रांतीय संचालक

हड़ताल स्थगित करने की वजह जानने के लिए हमने सीधा सवाल मोर्चा के प्रांतीय संचालकों से की। हालांकि शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विरेंद्र दुबे से दो से तीन बार हमने फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो पायी। बाकी के चार प्रांतीय संचालकों ने जो कुछ कहा, वो यहां हुबहू छाप रहे हैं…

मनीष मिश्रा – देखिये आंदोलन स्थगित नहीं हुआ है, हम शिक्षा मंत्री से मुलाकात करने जा रहे हैं, कोशिश करेंगे कि आज या कल में ही मुलाकात हो जाये, हमारे संगठन के लोग मुलाकात के लिए लगे हुए हैं, जैसे ही मुलाकात होगी, हम अपनी मांगों पर उनसे बातचीत करेंगे। और फिर मुलाकात के बाद अपनी स्थिति आपको बता देंगे। पूर्व में भी उनसे बातचीत हुई है, लेकिन हम चाहते हैं शिक्षा मंत्री बनने के बाद उनसे एक बार चर्चा कर ली जाये। आपलोग स्थगित होने की बातों को अलग तरह से बता रहे हैं। हम अभी भी बोल रहे हैं हड़ताल करेंगे ।

विरेंद्र दुबे- बातचीत नहीं हो पायी

विकास राजपूत- ऐसा है कि आज हमारी बैठक में यही रणनीति बनी है कि नये शिक्षा मंत्री बने हैं, उनसे भी बातचीत की जानी चाहिये। हम बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहते हैं। हम देरी नहीं करेंगे, तुरंत ही शिक्षा मंत्री से बात करेंगे और अपना फैसला आपके चैनल के जरिये बतायेंगे। हमलोगों का फैसला हड़ताल का अभी भी है। मांगें नहीं पूरी हुई तो हड़ताल हमलोग करेंगे। जो खबरें प्रसारित हुई है, उसे हर कोई अलग-अलग तरीके से प्रसारित कर रहा है, हम शिक्षक हित के साथ हैं।

केदार जैन – शिक्षा मंत्री से हमलोग मुलाकात करने वाले हैं। देखिये शिक्षा मंत्री काफी प्रभावशाली है, हम हड़ताल में जाने से पहले एक बार उनसे चर्चा करना चाहते हैं। उनसे वार्ता के बाद हम अपनी रणनीति आपको बतायेंगे। हड़ताल को लेकर अलग-अलग तरह की जो बातें आ रही है, वो उचित नहीं है। हमलोग शिक्षक हित के साथ हैं। लेकिन आंदोलन के पहले अगर हम अपने विभाग के मंत्री से बात करना चाहते हैं, तो इसमें गलत क्या है। चर्चा में क्या कुछ होता है, वो आपको बता दिया जायेगा, हम अपनी फैसला भी आपको बता देंगे।

संजय शर्मा- प्रांतीय संचालक की बैठक हुई थी। बैठक में सर्व सम्मिति से निर्णय लिया गया हमें शिक्षा मंत्री से बात करना चाहिये। मीडिया में क्या बातें आयी और क्या चल रही है, उसमें हम नहीं कहेंगे, हम सिर्फ यही कहते हैं कि मोर्चा शिक्षकों की हित के लिए बना है और हम शिक्षकों के मुद्दे के लिए ही काम कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री से मुलाकात जल्द करेंगे और फिर आगे की रणनीति हम सार्वजनिक करेंगे।

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