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Govardhan Puja 2022: गोवर्धन पूजा आज, जानिए पूजाविधि, कथा, शुभमुहूर्त और छप्पन भोग का रहस्य…

रायपुर 26 अक्टूबर 2022 : हिंदू धर्म में बड़ी दीवाली के अगले दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है। हालांकि, इस साल दिवाली के अगले दिन ग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा आज यानी 26 अक्टूबर को यानि आज है। इस दिन का विशेष महत्व है। आप अपने प्रियजनों के साथ गोवर्धन पूजा की खुशियां बांट सकते हैं।

आज यानी 26 अक्टूबर को भाई दूज और गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। वैसे तो दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन इस साल सूर्यग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन न होकर 26 अक्टूबर को की जा रही है। ऐसे में गोवर्धन पूजा और भाई दूज एक ही दिन मनाए जाएंगे। गोवर्धन पूजा के दौरान भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। वहीं भाई दूज के दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु कामना करती हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन यमलोक के लिपिक का कार्य करने वाले देवता चित्रगुप्त, कलम-दवात, पंजिका का भी पूजन किया जाता है।

गोवर्धन पूजा 2022 शुभ मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि का शुभारंभ: 25 अक्टूबर, दिन मंगलवार, शाम 04:18 बजे से
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि का समापन: आज 26 अक्टूबर, दिन: बुधवार, दोपहर 02:42 बजे
गोवर्धन पूजा का शुभ समय: सुबह 06:29 बजे से सुबह 08:43 बजे तक
प्रीति योग: आज प्रात:काल से लेकर सुबह 10:09 बजे तक
आयुष्मान योग: आज सुबह 10:09 बजे से लेकर कल सुबह 07:27 बजे तक
स्वाति नक्षत्र: आज दोपहर 01:24 बजे तक, फिर विशाखा नक्षत्र प्रारंभ

गोवर्धन पूजा 2022 दिन का चौघड़िया शुभ मुहूर्त
लाभ-उन्नति: सुबह 06:29 बजे से सुबह 07:53 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम: सुबह 07:53 बजे से सुबह 09:17 बजे तक
शुभ-उत्तम: सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक
चर-सामान्य: दोपहर 02:53 बजे से शाम 04:17 बजे तक
लाभ-उन्नति: शाम 04:17 बजे से शाम 05:41 बजे तक

गोवर्धन पूजा की विधि और अन्नकूट
गोवर्धन पूजा वाले दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर फूलों से मंडप को सजाया जाता है। पूजा के शुभ मुहूर्त में गोवर्धन जी को फूल, अक्षत्, फल, दीप, नैवेद्य, मिठाई आदि अर्पित कर पूजन करते हैं। उनके नाभि स्थान पर मिट्टी के बड़े से दीपक में बताशे, दूध, दही आदि रखते हैं और उनकी कम से कम 7 बार परिक्रमा करते हैं। गोवर्धन की पूजा करने से व्यक्ति गौ धन, संतान, धन आदि में वृद्धि होती है। घर पर बनाए गए विभिन्न प्रकार के पकवानों से तैयार अन्नकूट का भोग भगवान श्रीकृष्ण को लगाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इस दिन ब्रज मंडल के श्रीकृष्ण मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के भोग भी लगाए जाते हैं।

ऐसे शुरू हुई 56 भोग की परंपरा
मान्यता के अनुसार इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए और इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। इंद्र अपनी शक्ति से लगातार 7 दिनों तक ब्रज में मूसलाधार बारिश कराते रहे। तब भगवान कृष्ण ने लगातार सात दिनों तक भूखे-प्यासे रहकर अपनी उंगली पर गोर्वधन पर्वत को उठाएं रखा। इसके बाद उन्हें सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खिलाए गए थे, तभी से ये 56 तरह के भोग लगाने की शुरूआत हुई।

गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा
मान्यता यह है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। श्रीकृष्‍ण ने इन्‍द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं। कुछ लोग गाय के गोबर से गोवर्धन का पर्वत मनाकर उसे पूजते हैं तो कुछ गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान को जमीन पर बनाते हैं।

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