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NW न्यूज 24 स्पेशल : भूपेश सरकार ने बदल दी वनवासियों की तकदीर…65 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी से वनवासियों की हो रही आर्थिक उन्नति…लघु वनोपज संग्रहण में छत्तीसगढ़ देश में अव्वल

रायपुर 25 फरवरी 2023। चार सालों में वनवासियों की तस्वीर भी बदली है और तकदीर भी संवरी है। बस्तर से लेकर सरगुजा तक के वनवासियों के लिए भूपेश सरकार के उत्थान ने ना सिर्फ आर्थिक प्रगति लायी है, बल्कि वनवासियों की आर्थिक रूप से संबल और समृद्ध भी बनाया है। भूपेश सरकार का एक बड़ा क्रांतिकारी फैसला लघुवनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी की रही। प्रदेश के वनवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार छत्तीसगढ़ में वर्तमान में समर्थन मूल्य पर 65 लघु वनोपजों की खरीदी कर रही है। राज्य सरकार का यह फैसला वनाचंल के वनवासियों तथा आदिवासियों के हित में अहम् साबित हो रहा है। लघु वनोपजों की संख्या में वृद्धि होने से उनकी आय में भी बढ़ोतरी हुई है।

छत्तीसगढ़ राज्य सन 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर एक नया राज्य बना था, तब छत्तीसगढ़ को कोई जानता भी नहीं था परन्तु धीरे धीरे छत्तीसगढ़ अब हर क्षेत्र में आगे आते जा रहा है। उन्ही में से एक क्षेत्र है लघु वनोपज संग्रहण का क्षेत्र जिसमे छत्तीसगढ़ ने अपना पहला स्थान बरकरार रखा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में लघु वनोपजों के संग्रहण और छत्तीसगढ़ हर्बल के उत्पाद की बिक्री का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ रहा है।

7 से बढ़ाकर 65 लघु वनोपजों की खरीदी का फैसला

इस तारतम्य में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में देश का 74 प्रतिशत लघु वनोपज संग्रहित होता है, जो देश में अव्वल है। सरकार ने संग्राहकों के हित में लघु वनोपजों की संख्या में 9 गुना वृद्धि करते हुए 7 से बढ़ाकर 65 लघु वनोपजों की खरीदी करने का निर्णय लिया। यही कारण है कि इन चार सालों में संग्राहकों की संख्या में भी 4 गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है, वर्ष 2018-19 में संग्राहकों की संख्या 1.5 लाख थी जो आज बढ़कर 6 लाख हो गई है।

चार वर्षों में 356 करोड़ की लघु वनोपज की खरीदी

इस दौरान लघु वनोपज संग्रहण पारिश्रमिक वर्ष 2019-20 में 23 करोड़ 50 लाख रूपए की राशि का भुगतान संग्रहकों को किया गया। इसी तरह वर्ष 2020-21 में 158 करोड़ 65 लाख रूपए़, वर्ष 2021-22 में  116 करोड़ 79 लाख रूपए और वर्ष 2022-23 में (जनवरी 2023 की स्थिति में) 57 करोड़ 50 लाख रूपए की राशि का भुगतान संग्राहकों को किया जा चुका है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ में चार वर्षों में 356 करोड़ 44 लाख रूपए मूल्य का लघु वनोपज क्रय किया गया।

वनवासियों को वनोपज का मिल रहा है उचित मूल्य

राज्य में वर्तमान में समर्थन मूल्य के अंतर्गत खरीदी की जा रही लघु वनोपजों में संग्रहण दर मालकांगनी बीज (सूखा) 100 रूपए, बायबडिंग 94 रूपए, कालमेघ/भूईनीम (सूखा) ग्रेड-1-35 रूपए, कालमेघ/भूईनीम (सूखा) ग्रेड-2-31.50 रूपए, आंवला (बीज रहित) सूखा 57 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है। इसी तरह रंगीनी लाख/छिली लाख (सूखा) 220 रूपए, रीठा फल (सूखा) 14 रूपए, वन जीरा बीज 63 रूपए, सतावर जड़ (सूखा) 107 रूपए, चरौटा बीज ग्रेड-1-16 रूपए, चरौटा बीज ग्रेड-2-14.50 रूपए, शहद 225 रूपए तथा नागरमोथा (सूखा) 30 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है। माहुल पत्ता 15 रूपए, हर्रा साबूत (सूखा) ग्रेड-1-15 रूपए, हर्रा साबूत (सूखा) ग्रेड-2-13.50 रूपए, हर्रा कचरिया 25 रूपए, बहेड़ा साबूत (सूखा) ग्रेड-1-17 रूपए, बहेड़ा साबूत (सूखा) ग्रेड-2-15.30 रूपए, बहेड़ा कचरिया 20 रूपए तथा गिलोय (सूखा) ग्रेड-1-40 रूपए, गिलोय (सूखा) ग्रेड-2-36 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।

लघु वनोपज की बिक्री से आ रही है संपन्नता

इसी तरह कुसुमी लाख/छिली लाख (सूखा) 300 रूपए, वन तुलसी बीज 14.50 रूपए, भेलवा 9.75 रूपए, शिकाकाई फल्ली (सूखा) 50 रूपए, इमली आटी (बीज सहित) ग्रेड-1-36 रूपए, इमली आटी (बीज सहित) ग्रेड-2-33 रूपए, इमली फूल (बीज रहित) 69 रूपए, इमली बीज 11 रूपए तथा महुआ फूल (सूखा) 30 रूपए, महुआ बीज 29 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है। झाडू फूल (घास) 50 रूपए, कौंच बीज 21 रूपए, धवई फूल (सूखा) ग्रेड-1-37 रूपए, धवई फूल (सूखा) ग्रेड-2-33.50 रूपए, चिरौंजी गुठली ग्रेड-1-126 रूपए, चिरौंजी गुठली ग्रेड-2-115 रूपए, करंज बीज 24 रूपए, बेलगुदा (सूखा) ग्रेड-1-30 रूपए, बेलगुदा (सूखा) ग्रेड-2-27 रूपए तथा कुल्लू गोंद 125 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है। काजू गुठली ग्रेड-1-90 रूपए, काजू गुठली ग्रेड-2-81 रूपए, साल बीज 20 रूपए, कुसुम बीज ग्रेड-1-23 रूपए, कुसुम बीज ग्रेड-2-20.70 रूपए, नीम बीज (सूखा) 27 रूपए, जामुन बीज (सूखा) ग्रेड-1-42 रूपए, जामुन बीज (सूखा) ग्रेड-2-38 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।

पहले मिलता था काफी कम कीमत

इसी तरह मालकांगनी फल कच्चा (लाल रंग) 17 रूपए, कालमेघ/भुईनीम (कच्चा)- 5.50रूपए, हर्रा कच्चा 6 रूपए, बहेड़ा कच्चा 5 रूपए, गिलोय कच्चा 5.50 रूपए,  हर्रा बाल 30 रूपए, महुआ फूल कच्चा (फूड ग्रेड) 10 रूपए, झाडू छिंद (घास) 15 रूपए, कोदो 30 रूपए, कुटकी (काला) 31 रूपए, कुटकी (भूरा) 31 रूपए, रागी 35.78 रूपए, अमचूर (सफेद) 120 रूपए तथा अमचूर (भूरा) 80 रूपए, रैली कोसा (भादो) दर नग में ग्रेड-1-4.20 रूपए, रैली कोसा (भादो) दर नग में ग्रेड-2-3.60 रूपए,रैली कोसा (भादो) दर नग में ग्रेड-3-2.80, रैली कोसा (चौती) दर नग में ग्रेड-1-1.50 रूपए तथा रैली कोसा (चौती) दर नग में ग्रेड-2-1.25 रूपए,रैली कोसा (चौती) दर नग में ग्रेड-2-0.7 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदी की जाएगी।

इसके अलावा संग्रहण दर आंवला फल (कच्चा) 28 रूपए, रंगीनी लाख बीहन (जीवित लाख कीट के साथ) 275 रूपए, कुसुमी लाख बीहन (जीवित लाख कीट के साथ) ग्रेड-1-550 रूपए,  झाडू कांटा (घास) 25 रूपए, बेलफल (कच्चा) 10 रूपए, जामुन फल (कच्चा) 23 रूपए, सवई घास 15 रूपए, पाताल कुम्हड़ा कंद (सूखा) 20 रूपए, सफेद मूसली कंद (सूखा) 650 रूपए, तीखुर कंद (कच्चा) 17 रूपए, अश्वगंधा जड़ (सूखा) 180 रूपए, कोरिया बीज (इन्द्र जौ) (सूखा) 50 रूपए, कुटज छाल (सूखा) 12 रूपए तथा पलाश फूल (सूखा)  11.50 रूपए प्रति किलोग्राम है।

लघु वनोपजों की खरीदी में छत्तीसगढ़ देश में सबसे आगे

छत्तीसगढ़ राज्य ने एक नया कीर्तिमान कायम करते हुए बीते तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पाद की बिक्री में 1090 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है। वर्ष 2017-18 में छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पाद की बिक्री 1 करोड़ 26 लाख रूपए थी जो वर्ष 2018-19 में 8.7 फीसदी बढ़कर 1 करोड़ 37 लाख रूपए तक पहुंची थी। वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पादों की बिक्री 1 करोड़ 25 लाख रूपए की रही। वर्ष 2020-21 में विगत आंकड़ों से 70 फीसदी की वृद्धि के साथ छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पाद की बिक्री 2 करोड़ 15 लाख रूपए रही। वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ हर्बल के उत्पादों की बिक्री के लिए 7 करोड़ रूपए का लक्ष्य रखा गया तथा वित्तीय वर्ष के शुरूआती 9 माह में ही लक्ष्य के विरूद्ध 4 करोड़ 34 लाख रूपए के उत्पादों की बिक्री की जा चुकी है। यह 2017-18 के विरूद्ध 455 फीसदी ज्यादा है। इसी तरह से छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पादों की बिक्री के लिए 15 करोड़ रूपए का लक्ष्य रखा है और यह लक्ष्य साल 2017-18 की तुलना में 1090 फीसदी अधिक है ।

मुख्यमंत्री की दूर दरदर्शिता का दिखा सार्थक असर

छत्तीसगढ़ हर्बल्स, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज (व्यापार और विकास) सहकारी संघ (CGMFPFeD) की एक इकाई हैंl राज्य में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधन, जंगलो में और उसके आसपास रहने वाले व्यक्तियों, विशेषकर आदिवासियों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज (व्यापार और विकास) सहकारी संघ यह प्रयास कर रहा है कि मूल्यवान संसाधनों को छत्तीसगढ़ के स्थायी मॉडल में सुरक्षित और एकत्र किया जाए। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में 65 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीद की जा रही है, जबकि तीन वर्ष पहले यहां सिर्फ 7 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर होती थी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की दूरदर्शिता और प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग के सकारात्मक दृष्टिकोंण की वजह से छत्तीसगढ़ हर्बल्स के प्रोडक्ट आन लाइन माध्यम से पूरे भारत में बिक रहे हैं।

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