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पोस्टिंग निरस्तीकरण अपडेट: ना “नो कर्सिव स्टेप” का आदेश, ना अंतरिम राहत, कोर्ट ने कहा, “इससे ज्यादा रिलिफ नहीं दे सकते, संतुष्ट नहीं हैं, तो अपील में जाइये”

रायपुर 13 सितंबर 2023। पोस्टिंग संशोधन निरस्तीकरण मामले में शिक्षा विभाग और कोर्ट दोनों का रुख कड़ा है। विभाग की जिस सख्ती के खिलाफ सैंकड़ों शिक्षक हाईकोर्ट पहुंचे थे, वहां से उन्हें मायुसी हाथ लगी है। 11 सितंबर को हुई प्रांरंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने स्टेटस मैंटेन का निर्देश दिया था, जिसके बाद अधर में लटके शिक्षकों को यही उम्मीद थी कि 13 सितंबर को उनके लिए कोर्ट से जरूर राहत की खबर आयेगी। लेकिन कोर्ट के 11 सितंबर के ही ऑर्डर को मैंटेन करने के आदेश से सैंकड़ों शिक्षकों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।

जज ने साफ कहा कि फिलहाल इससे ज्यादा राहत नहीं दी जा सकती है। याचिकाकर्ता के वकील बार-बार 4 सितंबर 2023 को पोस्टिंग निरस्तीकरण के आदेश को चुनौती देकर नो कर्सिव (बलपूर्वक कार्रवाई नहीं) स्टेप की मांग कर रहे थे, लेकिन जज ने साफ कहा कि अभी फिलहाल जो उन्होंने 11 सितंबर को स्टेटस मैंटेन करने का आर्डर दिया है, उसे ही सभी के लिए दे रहे हैं।

बस्तर के पोस्टिंग निरस्तीकरण पर भी भी कोर्ट ने राहत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट में बहस के दौरान ये बातें रखी गयी कि बस्तर की स्थिति अलग है, वहां करीब 14 महीने पहले पोस्टिंग हुई है, लेकिन जज ने कहा कि निरस्तीकरण का आदेश सभी के लिए कॉमन तौर पर 4 सितंबर को जारी हुआ है, लिहाजा वहीं आर्डर सभी के लिए रहेगा, जो उन्होंने 11 सितंबर को केस में दिया है।

कुछ याचिककर्ताओं की तरफ से अधिवक्ताओं ने कोर्ट को शिक्षकों को बुनियादी तौर पर आ रही परेशानी भी बतायी। अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि विभाग की तरफ से आर्डर दिया गया है कि शिक्षक अगर रिलीव हो गये हैं तो वो रिलीव ही रहेंगे। ना तो पुराने संस्था में ज्वाइन कर सकेंगे और ना ही पुरानी जगह पर लौट सकेंगे। अधिकारियों ने कहा है कि अगर ज्वाइन कराया गया तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

जिस पर कोर्ट ने कहा कि फिलहाज इससे ज्यादा वो रिलिफ नहीं दे सकते। वहीं वेतन संबंधी आने वाली दिक्कतों पर कोर्ट का ध्यान अधिवक्ताओं ने दिलाया, जिस पर जस्टिस चंदेल ने कहा कि ऐसी बातें आयेगी तो बाद में देखेंगे। जस्टिस चंदेल ने कहा कि 600-700 याचिका लगे हैं, सब में अलग-अलग सबमिशन आयेंगे, वन बाय वन सभी भी बात करना संभव नहीं है। अधिवक्ताओं को कोर्ट ने कहा कि अगर वो फैसले से संतुष्ट नहीं है, तो अपील में जा सकते हैं।

इस मामले में अधिवक्ता प्रतीक शर्मा ने बताया कि पदोन्नति पोस्टिंग के केस में हाईकोर्ट ने 11 सितंबर को जो आदेश जारी किया है, वह सभी केस में लागू होगा। कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। जिसके मुताबिक दोनों पक्षों को इस आदेश का पालन करना होगा। आदेश में स्पष्ट है कि अगर टीचर रिलीव हो गए हैं तो ना नई जगह ज्वाइन कर सकेंगे और ना ही पुरानी जगह ज्वाइन कर सकेंगे और केस की सुनवाई होते तक रिलीव ही रहेंगे। उनका प्रमोशन ऑर्डर कैंसिल नहीं होगा। शिक्षकों को भी यह स्थिति मेंटेन करना है और सरकार को भी यह स्थिति मेंटेन करना होगा। अगर रिलीव नहीं हुए हैं तो पुरानी जगह पर रहकर काम कर सकते हैं। याचिका पर सिंगल बेंच ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हालांकि, इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। अब कोर्ट ने इस मामले में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई तक शिक्षकों की परेशानी बरकरार रहेगी। हालांकि तीन सप्ताह बाद सुनवाई कब होगी, इसे लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। लिहाजा शासन के खिलाफ कोर्ट जाकर अब शिक्षकों की मुश्किलें दोगुनी हो गयी है। ऐसे में कई शिक्षक अब नये विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। कुछ शिक्षक अब सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है।

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