सरोज पांडेय का जीवन परिचय: महापौर, विधायक और सांसद की एक साथ जिम्मेदारी संभालने का वर्ल्ड रिकार्ड
सरोज पांडेय का जीवन परिचय भाजपा की कद्दावर महिला नेत्री सरोज पांडेय छत्तीसगढ़ के दुर्ग की रहने वाली है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सरोज पांडेय को भाजपा ने कोरबा से प्रत्याशी बनाया है। सरोज पांडेय देश की इकलौती नेता है, जिन्होंने महापौर रहते हुए ही पहले विधानसभा और फिर दुर्ग सीट से लोकसभा का चुनाव जीता। सरोज पांडेय के नाम एक ही समय में मेयर, विधायक और सांसद का पद संभालने का ये अनूठा विश्व रिकॉर्ड है। ये रिकॉर्ड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए नामित किया गया था। उनके पास लगातार 10 वर्षों तक दुर्ग से मेयर के रूप में सबसे लंबे कार्यकाल तक रहने का भी रिकॉर्ड है। मेयर रहते वक्त वे सर्वश्रेष्ठ मेयर का पुरस्कार जीत चुकी हैं।
कौन हैं सरोज पांडे?
- – जन्म 22 जून 1968 को छत्तीसगढ़ के भिलाई में शिक्षक श्यामजी पांडे और गुलाब देवी पांडे के घर हुआ
- – पं. रविशंकर विश्वविद्यालय के रायपुर स्थित भिलाई महिला महाविद्यालय से एमएससी (बाल विकास) की शिक्षा ग्रहण की
- – पहली बार वर्ष 2000 और 2005 में दो बार दुर्ग की मेयर चुनीं गईं
- – वर्ष 2008 में पहली बार वैशाली नगर विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं, भाजपा ने वर्ष 2009 के आम चुनाव में दुर्ग से उतारा और उन्होंने जीत हासिल की
- – 24 अप्रैल 2013 में, भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं
- – वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा। लेकिन कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू से हार गईं।
- – हार के बावजूद भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव बनीं और मार्च 2018 में राज्यसभा के लिए चुना गया।
- – एक ही समय में मेयर, विधायक और सांसद का पद संभालने का अनूठा विश्व रिकॉर्ड, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए नामित
- – लगातार 10 वर्षों तक दुर्ग से मेयर रहकर सबसे लंबे कार्यकाल का बनाया रिकॉर्ड
- – मेयर रहते वक्त वे सर्वश्रेष्ठ मेयर का पुरस्कार जीत चुकी हैं।
गिनीज और लिम्का बुक में रिकॉर्ड दर्ज…
- – सरोज पांडेय ने राजनीति में कम उम्र में ही लोहा मनवा चुकीं है। डॉ. सरोज पांडेय एक साथ महापौर, विधायक और सांसद रह चुकी हैं।
- – उनका यह रिकॉर्ड गिनीज और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है। 10 साल तक लगातार बेस्ट मेयर का अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- – उन्होंने छत्तीसगढ़ में बीजेपी के नेता के तौर पर पहली बार महापौर का चुनाव लड़ा और जीत मिली थी।
- – 2008 में भिलाई के वैशाली नगर सीट से विधानसभा से चुनाव लड़ा। उन्होंने विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी के बृजमोहन को लगभग 15 हजार मतों से हराया था। बस यहीं से सरोज के करियर में टर्निंग पॉइंट आ गया। जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
दुर्ग से पहली बार बनीं सांसद
- -बीजेपी ने 2009 में उन्हें महापौर रहते हुए आम चुनाव में विधायक और दुर्ग सीट से लोकसभा उम्मीदवार के तौर पर खड़ा कर दिया।
- – डॉ. सरोज का सीधा मुकाबला बीजेपी से बगावत कर बाहर हुए दुर्ग से लगातार तीन बार के सांसद ताराचंद साहू से था।
- – पांडेय ने साहू को भारी मतों से हराया। इसी जीत के साथ पांडेय का राष्ट्रीय राजनीति में कद बढ़ता चला गया।
- – सांसद रहते ही पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महिला मोर्चा का अध्यक्ष बनाया।
मोदी लहर के बावजूद हार का सामना
- – डॉ. सरोज को 2014 में हुए आम चुनाव में मोदी लहर होने के बाबजूद हार का सामना करना पड़ा।
- – छत्तीसगढ़ से इकलौती बीजेपी कैंडिडेट थीं, जिन्हें हार मिली। इसके बाद राजनीति की गलियों में सरोज की आलोचना शुरू हुई।
- – माना जाने लगा कि अब इनका राजनीतिक करियर खत्म हो गया। लेकिन बीजेपी ने उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी जिम्मेदारी दी।
- – वह महाराष्ट्र में सफल हुईं। इसके बाद नेशनल लेवल डॉ. सरोज पांडेय की पकड़ मजबूत होती गई। अब वो कोरबा से प्रत्याशी है। बहुत बड़ा उलटफेर नहीं हुआ, तो सरोज पांडेय फिर से सांसद बनेगी।