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शिक्षक ब्रेकिंग: सहायक शिक्षक हरासमेंट मामले में हाईकोर्ट का जनपद CEO को निर्देश…..”आखिरी फैसला आने तक किसी भी तरह की कार्रवाई पर रहेगी रोक”

बिलासपुर 25 मई 2022 । सूरजपुर के एक सहायक शिक्षक के लिए हाईकोर्ट ने राहत भरा निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने जनपद CEO को आखिरी फैसला आने तक किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। दरअसल सूरजपुर के भैयाथान ब्लाक के शासकीय प्राथमिक शाला नवापारा में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ अनिल कुमार साहू की नियुक्ति मई 2009 में हुई थी। 8 साल की सेवा पूर्ण करने के बाद अनिल कुमार साहू का संविलियन सितंबर 2018 में स्कूल शिक्षा विभाग में हुआ था। साल 2016 के अप्रैल में राजेश कुमार नाम के व्यक्ति ने झूठी शिकायत जनपद पंचायत सीईओ के पास कर दी।

जनपद सीईओ को की गयी शिकायत के आधार पर शिक्षक अनिल साहू को नोटिस जारी किया गया और उन्हें दस्तावेज के साथ उपस्थित होने को कहा गया। जांच के 14 अप्रैल को जनपद सीईओ ने शिकायतकर्ता राजेश कुमार को रिपोर्ट पत्र भेजकर बताया कि शिक्षक अनिल साहू के दस्तावेज और नियुक्ति में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।

इस शिकायत के बाद जुलाई 2017 में एक अन्य शिकायतकर्ता दीपक साहू ने उसी तरह की शिकायत भैयाथान के BEO को कर दी। जिसके बाद BEO ने नोटिस जारी कर दिया गया। फिर से शिक्षक अनिल साहू के दस्तावेज की जांच हुई और जांच रिपोर्ट साल 2017 में जांच रिपोर्ट भैयाथान के SDO के समक्ष पेश किया गया। इसमें भी शिकायत सही नहीं पाये जाने का प्रतिवेदन दिया गया। इसी तरह से दिसंबर 2019 में अनिल साहू के दस्तावेजों के सत्यापन के लिए कमेटी बनी और जांच करायी गयी। जांच कमेटी ने भी शिकायत को झूठा बताया। कमेटी ने शिकायतकर्ता को चेतावनी दी कि इस प्रकार के झूठे और बनावटी शिकायत ना करे।

शिक्षक अनिल साहू के खिलाफ शिकायत की सूरजपुर के जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से भी जांच की गयी, जिसमें शिकायत गलत और अवैध पाया गया, जिसकी सूचना डीईओ ने जिला पंचायत सीईओ सूरजपुर को किया जा चुका था। एक ही मामले में 8-10 बार तलब किये जाने से परेशान शिक्षक अनिल साहू ने इस मामले में हाईकोर्ट के अधीवक्ता मतीन सिद्दीकी और कुमारी दीक्षा गौराहा के माध्यम से एक रिट याचिका दायर की, जिसमें जनपद सीईओ के अधिकार क्षेत्र को आधार बनाया गया। अधिवक्ता मतीन सिद्दकी ने कोर्ट को बताया कि जनपद सीईओ का न्यायिक क्षेत्राधिकार सहायक शिक्षक के मामले में नहीं है। जिसका संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग में हो चुका है। वहीं दूसरी बात ये कि इस याचिकाकर्ता अनिल साहू को जांच और पूछताछ केलिए पहली बार नहीं बुलाया गया था, बल्कि एक ही वाद के कारण बार-बार बुलाया जा रहा था। याचिकाकर्ता की नौकरीपेशा जिंदगी बुरी तरह से बाधित करने के कृत्य को भी याचिकाकर्ता के वकील ने आधार बनाया।

याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस पीसैम कोशी की बेंच ने उत्तरवादियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है , वहीं हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अपने आखिरी फैसले तक उत्तरवादी जनपद पंचायत सीईओ को किसी भी प्रकार का अंतिम निर्णय लेने पर रोक रहेगी।

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