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“मरे हुए” लोगों की जिंदगी बचाने खर्च कर दिये 6.9 करोड़ ! इस फर्जीवाड़े में छत्तीसगढ़ के हास्पिटल भी शाामिल,CAG ने किये चौंकाने वाले खुलासे

दिल्ली 16 अगस्त 2023। अस्पताल में बीमारी लोगों की जिंदगी बचाने में लाखों रूपये खर्च होता आपने देखा और सूना होगा। लेकिन भारत में सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना में मरे हुए लोगों को जिंदगी देने के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च करने का सनसनीखेज खुलासा हुआ हैं। CAG ने अपनी आडिट रिपोट में इस बात का खुलासा किया हैं कि 3 हजार 446 ऐसे मरीजों के इलाज पर कुल 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जो पहले ही मर चुके थे। डेटाबेस में इन सभी मरीजों को मृत दिखाया गया है। रिपोर्ट की माने तो इस फर्जीवाड़े में छत्तीसगढ़ में भी करीब 365 मरे हुए लोगों के इलाज के नाम पर सरकार से करोड़ो रूपयें का पेमेंट लिया गया।

हम आपको बता दे कि सरकार की महत्कांक्षी योजना में सेंधमारी का ये कोई पहला मौका नहीं है, जब आयुष्मान भारत योजना को लेकर ऐसी रिपोर्ट सामने आई हो। इससे पहले भी सीएजी की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि करीब 7.5 लाख से ज्यादा लोगों को एक ही मोबाइल नंबर पर रजिस्टर कर दिया गया और वो नंबर भी अमान्य था। गौरतलब हैं कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को साल 2018 में शुरू किया गया था। इसका मकसद गरीबों को मुफ्त और बेहतर इलाज देना था। जिसे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शुरू किया गया। लेकिन केंद्र सरकार की इस महत्वाकंक्षी योजना को चिकित्सा महकमा ने भ्रष्टाचार का केंद्र बना दिया।

सीएजी ने जब आयुष्मान भारत योजना के डेटाबेस का ऑडिट शुरू किया, तो इसमें की तरह की अनियमितताएं पाई गईं। बताया गया कि ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ स्कीम में पहले से मृत घोषित मरीजों का इलाज लगातार जारी था और उनके इलाज के लिए पैसों का भुगतान भी किया जा रहा था। यानी आयुष्मान भारत योजना के तहत इन हजारों मरीजों का इलाज होता दिखाया जा रहा था। देशभर के अलग-अलग अस्पतालों में कुल 3 हजार 446 मरीज ऐसे थे, जिनके इलाज के लिए अस्पतालों को 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।

केरल में ऐसे सबसे ज्यादा मरीज……

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक केरल में ऐसे मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा थी। यहां कुल 966 ऐसे मरीज पाए गए, जिन्हें मृत घोषित करने के बावजूद उनका इलाज जारी था। इनके इलाज पर 2 करोड़ 60 लाख 9 हजार 723 रुपये का भुगतान अस्पतालों को किया गया। इसके बाद मध्य प्रदेश में 403 और छत्तीसगढ़ में 365 ऐसे मरीज मिले, जिनके इलाज पर लाखों रुपये खर्च हुए।

सीएजी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 2020 में ऐसी खामियों को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण को जानकारी दी गई थी। जिसके कुछ महीने बाद उनकी तरफ से कहा गया था कि सिस्टम में खामी को ठीक कर दिया गया है। जिसके बाद मृत दिखाए गए शख्स के इलाज के लिए फंड जारी नहीं किया जा सकता है। हालांकि ये दावा गलत था और इसके बाद भी योजना के कई लाभार्थियों को इलाज के दौरान मृत दिखाया गया था। जिससे पता चलता है कि सिस्टम की खामियों को दूर नहीं किया गयां।

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