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पर्सनल लोन और ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी दोनों में कौन सी है बेस्ट

अगर आपके पास सेविंग खाता हैं लेकिन खाते में पैसा नहीं है। ऐसे में आपको अचानक से पैसों की आवश्यकता पड़ गई हैं इस हाल ही में आपको लोन लेना पड़ जाता है। काफी लोग दोस्त या फिर रिश्तेदारों से पैसे उधार में लेना सहीं नहीं समझतें।

पर्सनल लोन और ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी दोनों में कौन सी है बेस्ट

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इस हाल में पर्सनल लोन या फिर ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी लेना एक ऑप्शन होता है। अब सवाल ये आता है कि दोनों में से कौन आपके लिए लाभदायक है। पर्सनल लोन नया नहीं है। आप बैंक या एनबीएफसी से पर्सनल लोन ले सकते हैं। इसकी ब्याज दर फिक्स्ड होती है।

इसमें आपको अपनी ईएमआई के बारे में मालूम होता है। उधर ओवरड्राफ्ट फैसेलिटी भी पैसे की आवश्यकता पूरी करने के लिए आसान सा ऑप्शन है। ये फैसिलिटी बैंक ग्राहकों को पेश करते हैं।

जानें क्या है ओवरड्राफ्ट फैसेलिटी
ओवरड्राफ्ट फैसेलिटी की बात करें तो बैंक जब ग्राहकों को ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी देता है तो उसको एक क्रेडिट लाइन पेश की जाती है। इसका ब्याज रेट फिक्स होता है। क्रेडिट लाइन की एक सीमा होती है। इस लिमिट तक आप बैंक से तय ब्याज दर पर पैसे उधार ले सकते हैं।

वहीं दूसरी तरफ पर्सनल लोन में बैंक आपको उतना ही पैसा देता है जितना कि आप अप्लाई करते हैं। दोनो में फर्क इतना है कि ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी में आप अधिकतम सी्ा तक पैसे एक बार में या फिर कई बार निकाल सकते हैं।

मान लें आपको पास 5 लाख रुपये तक की लिमिट वाली ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी है। आपके पास बैंक से 5 लाख रुपये तक कोई खाता बतौर लोन लेने का ऑप्शन है। आप 1 लाख, 3 लाख या फिर यहां तक कि 10 हजार रुपये भी ले सकते हैं। दूसरा ये है कि आप जब चाहें तो ये पैसा बैंक से ले सकते हैं। पहली नजर में ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी ग्राहकों के लिए अट्रैक्टिव लगती है। लेकिन दोनों में काफी फर्क है।

जानें क्या है दोनों के बीच में अंतर
अगर आपने 5 लाख रुपये का लोन लिया है तो ब्याज कुल 5 लाख रुपये पर लगेगा। ओवरड्राफ्ट से ब्याज केवल उस रकम पर लगता है जो कि आपने बैंक से लिया होता है। ये ओवरड्राफ्ट की कुल लिमिट पर नहीं लगता है। ब्याज भी सिर्फ उतने दिन के लिए लगता है कि जितने दिन तक आप पैसा बैंक को नहीं चुकाते हैं। अगर आप ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के तहत कोई पैसा बैंक से नहीं लेते हैं तो आपको कोई ब्याज नहीं देना होगा।

पर्सनल लोन के मुकाबले ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी में ब्य़ाज ज्यादा होता है। लेकिन यदि ये सिक्योर्ड हैं तो ब्याज दर काफी कम हो सकती है। सिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट का अर्थ ये है कि ग्राहक ने बैंक में अपनी एफडी पर ये फैसिलिटी ली है।

पर्सनल लोन में उसकी अवधि से पहले ये तय होता है। आपको मालूम होता है कि आपको ये पैसा कितने दिन में अदा करना होगा। ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी में इस प्रकार की कोई भी अवधि नहीं होती है। आप अपनी आवश्यकता से बैंक से पैसे ले सकते हैं और उसको अदा कर सकते हैं।

पर्सनल लोन और ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी दोनों में कौन सी है बेस्ट

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इसके अलावा पर्सनल लोन में रीपेमेंट होता है। आपकी ईएमआई पहले ही तय हो जाती है। ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी में रीपेमेंट फ्लेक्सीबल होती है। ग्राहक अपनी मर्जी से जितना चाहें उतना पैसा दे सकते हैं। ब्याज सिर्फ उस पैसे पर लगती है जो आपने बैंक से लिया होता है।

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